जब हम बात करते हैं कहार जाति की, तो यह जाति बिहार के सभी 38 जिलों में फैली हुई है, लेकिन सबसे अधिक संख्या में यह जाति गया जिले में पाई जाती है. 2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, कहार जाति की संख्या बिहार में 30 लाख से अधिक बताई गई थी. इसके अलावा, यह जाति चंद्रवंशी और रवानी जैसे नामों से भी जानी जाती है.
अब सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव का यह आरक्षण का मुद्दा बीजेपी और एनडीए के लिए राजनीतिक खतरा साबित होगा या फिर हिंदुत्व की राजनीति के सामने यह मुद्दा ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा? इस समय, नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन तेजस्वी यादव अपनी तरफ से हर उस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उन्हें राजनीतिक फायदा दे सकता है.
सीएम नीतीश ने कहा कि उनके कार्यकाल में बिहार की तस्वीर बदल गई है. पहले जहां राज्य में अराजकता और विवाद थे, अब वहां बेहतर बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और सड़कें हैं. उन्होंने कहा कि अब बिहार में एक मजबूत पुलिस बल है और राज्य में अपराध कम हुए हैं.
नीतीश कुमार की सरकार में हाल ही में एक कैबिनेट विस्तार हुआ है. इस विस्तार में बीजेपी कोटे से 7 नए चेहरे मंत्री बनाए गए हैं. इन नए मंत्रियों में कृष्ण कुमार मंटू (छपरा, अमनौर), विजय मंडल (अररिया, सिकटी), राजू सिंह (साहेबगंज), संजय सारावगी (दरभंगा), जीवेश मिश्रा (जाले), सुनील कुमार (बिहारशरीफ) और मोती लाल प्रसाद (रीगा) का नाम शामिल है.
अगर हम इतिहास की बात करें, तो 20 साल पहले जेडीयू के पास बीजेपी से दोगुना अधिक मंत्री हुआ करते थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. 2020 में जेडीयू के पास 19 मंत्री थे और बीजेपी के पास सिर्फ 7 मंत्री. धीरे-धीरे जेडीयू के मंत्री घटते गए, और बीजेपी के मंत्री बढ़ते गए. आज जेडीयू के मंत्री सिर्फ 13 हैं, जबकि बीजेपी के 21 मंत्री हैं.
पीएम मोदी का बिहार दौरा और उसके बाद नीतीश कुमार और जेपी नड्डा की बैठक यह साफ संकेत देती है कि राज्य में बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन फिर से मजबूत हो सकता है. साथ ही, कुछ अन्य प्रमुख नेताओं की इसमें भूमिका अहम हो सकती है. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य कई केंद्रीय नेता भी बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं.
यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार किसी अजीब हरकत के कारण चर्चा में आए हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर नीतीश कुमार के बयान और क्रियाकलाप विवादों का कारण बने हैं. उदाहरण के तौर पर, पिछले साल बिहार विधानमंडल में जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए उन्होंने पति-पत्नी के रिश्तों को लेकर कुछ ऐसी बातें कही थीं, जो बाद में काफी चर्चा का विषय बनीं.
इस सम्मेलन में दिलीप जायसवाल ने और भी कई बातें कीं. उन्होंने बिहार में 2005 से पहले और आज के बिहार के हालात की तुलना करते हुए कहा, "तब लोग बिजली के बिना जीते थे, अब लोग नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की सरकार की वजह से रोशनी देख रहे हैं."
नीतीश कुमार के लिए यह मान लेना कि वे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने देंगे, इतना आसान नहीं है. नीतीश कुमार की अपनी राजनीतिक स्थिति और बीजेपी के साथ उनका गठबंधन इस सवाल का जवाब तय करेगा कि क्या तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना सच हो पाएगा या नहीं.
फिलहाल, बिहार की राजनीति में जो कलह और विरोधाभास नजर आ रहे हैं, वे राज्य की राजनीति में आने वाले समय में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकते हैं.