MP News: बड़वानी में बने उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लगे ताले, रहवासियों ने कहा- डॉक्टर नहीं आते, इसलिए खुद लगाए
MP News: मध्यप्रदेश के बड़वानी जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहा अलग अलग पंचायतों में उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए है, जहा पर डॉक्टरों की नियमित नियुक्ति भी की गई, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट में कुछ अलग ही तस्वीर सामने आई है.
दरअसल मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के हर तहसील में संजीवनी हॉस्पिटल का निर्माण किया गया है. इसी के चलते सेंधवा में भी संजीवनी हॉस्पिटल में का निर्माण किया गया. हॉस्पिटल भवन बन कर तैयार है और उसमे फर्नीचर भी लग चुका है, लेकिन पिछले 1 साल से भवन तैयार है लेकिन लोगो के लिए खुला नही है उस पर ताला लगा हुआ है.
संजीवनी हॉस्पिटल बना जुआ खेलने का अड्डा
विस्तार न्यूज़ जब सेंधवा शहर के दोनों संजीवनी हॉस्पिटल पर पहुंची तो वहां असमाजिक तत्वों व जुए का अड्डा बन चुका है. जैसे ही हम अपस्टल के कैम्पस में पहुंचे तो जुआ खेलने वाली भीड़ हमे देखकर तितर बितर हो गई. वहीं जब हमने नए नवेले हॉस्पिटल की हालत देखी तो गंदगियों का अंबार लगा मिला. वहां मौजूद लोगो से पूछा तो रहवासियों का कहना है की हमने खुद वहा ताला लगाया ताकि कोई अंदर ना जाए. कई बार अधिकारियों से कहा हमारे मोहल्ले का अस्पताल खुलवाए, ताकि हम यहा पर इलाज करा सके. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. वही दूसरी ओर बने संजीवनी भवन की हालत भी ठीक ऐसी थी सर्व सुविधा युक्त बने इस अस्पताल का उद्घाटन नही हुआ.
रहवासियों ने कहा- हफ्ते में खुल जाए तो बड़ी बात है
बड़वानी के ग्रामीण अंचल के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं थे. ग्रामीण अंचल में हर गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए है डॉक्टर की भी नियुक्ति की गई, संसाधनों की भी व्यवस्था की गई लेकिन फिर उन भवनों पर ताला लगा हुआ है, डॉक्टर अपनी ड्यूटी नही निभाते. लोगों का कहना है हफ्ते में एक बार खुल जाए तो गनीमत है लेकिन हमे इन अस्पतालों से कोई लाभ नहीं मिल पाता है, सरकार का सिर्फ पैसा बर्बाद होता है, क्योंकि सरकार तो पैसा भेजती है तनख्वाह देती है लेकिन फिर डॉक्टर और जिम्मेदार लापरवाही से अपनी मनमानी करते है.
बीएमओ ने कहा- संसाधनों की कमी
वहीं इस मामले को लेकर जब ब्लॉक अधिकारी बी एम ओ से बात की गई. तो अधिकारी कहने लगे संजीवनी हॉस्पिटल में संसाधनों की कमी की वजह से हॉस्पिटल खुल नही पा रहे है. जब उनसे जुए के अड्डे वाली बात पूछी गई. तो उनका कोई जवाब नही आया.
एडवोकेट प्रिंस शर्मा ने कहा की शहर और पूरे जिले में बने अस्पताल तो सफेद हाथी है सिर्फ दिखाने के जो बड़े और विशाल है. इनमे सरकार द्वारा संसाधन भी दिए है लेकिन डॉक्टर है की अपनी मनमानी और सरकार से मिल रही फ्री की तनख्वाह में काम करना चाहते है, शहर और जिला अस्पताल अब अस्पताल नही रेफर हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता है, जो भी मरीज एक्सीडेंट केस आता है तो उसे इंदौर रेफर कर दिया जाता है.