किन मामलों में खारिज नहीं हो सकता चोरी हुए वाहनों का बीमा क्लेम, जानिए
चोरी हुए वाहनों का बीमा क्लेम
Car Insurance: वाहन चोरी के मामलों में उपभोक्ताओं और बीमा कंपनियों दोनों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं. मोटर वाहन चोरी की बढ़ती घटनाओं के बीच बीमा पॉलिसी के तहत उपभोक्ता अधिकारों की सही जानकारी होना बेहद जरूरी हो जाता है. इन मामलों में बीमा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. चोरी होने पर बीमा आपकी वित्तीय सुरक्षा करता है और नुकसान से बचाता है. हाल ही में इसी तरह के मामले में कोर्ट ने जो निर्णय दिया वो बीमा धारकों (पॉलिसी होल्डर) की जिम्मेदारियों और बीमाकर्ता (इंश्योरर) के दायित्व के बीच संतुलन को स्पष्ट करता है.
आइए जानते है उपभोक्ता अधिकारों के बारे में कोर्ट के नियम क्या है …? किन मामलों में आपका चोरी हुए वाहन का बीमा क्लेम खारिज नहीं किया जा सकता…
फंडामेंटल ब्रीच डॉक्ट्रिन
बीमा कंपनियां छोटी-मोटी गलती या उल्लंघन के आधार पर या केवल तकनीकी आधार पर दावे को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकतीं. मामूली उल्लंघनों के कारण दावा राशि में कटौती हो सकती है, लेकिन देयता पूरी तरह समाप्त नहीं की जा सकती. यह सिद्धांत उपभोक्ताओं को बीमा नीतियों की कठोर विवरणों से सुरक्षा देता है.
नॉन स्टैंडर्ड सेटलमेंट फ्रेमवर्क
जब दावा करने वालों की कुछ लापरवाही होती है, लेकिन मूलभूत उल्लंघन नहीं होता, तब अदालतें बीमित घोषित मूल्य का 75% भुगतान करने का आदेश देती हैं. आयोग ने कई मामलों में नॉन स्टैंडर्ड सेटलमेंट के लिए दिशा-निर्देश स्थापित किए हैं, जो उल्लंघन की गंभीरता पर आधारित होते हैं. उदाहरण के तौर पर, अगर आपने वाहन में अनुमति से ज्यादा सामान लादा है, यानी ओवरलोडिंग की है तो बीमा कंपनी आपको कुल बीमित राशि का 75% ही देगी.यानी आपकी गलती मानी जाएगी, लेकिन दावा पूरी तरह खारिज नहीं होगा.
प्रूफ पेश करने का दायित्व बीमा
कंपनियों को अस्वीकृति के आधारों को ठोस साक्ष्यों से साबित करना होता है. केवल अप्रमाणित आरोपी के आधार पर दावा खारिज नहीं किया जा सकता. बीमाकर्ताओं को यह साबित करना होगा कि बीमित ने कोई महत्वपूर्ण तथ्य छुपाया या पॉलिसी का उल्लंघन किया है .‘कोंट्रा प्रोफेरेंटम’ नियम के अनुसार, यदि पॉलिसी की भाषा अस्पष्ट है तो उसका अर्थ उपभोक्ता के पक्ष में निकाला जाएगा. कंपनियां अस्पष्ट या विरोधाभासी शब्दों के जरिए जिम्मेदारी से नहीं बच सकतीं.
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समय पर सूचना देना जरूरी
चोरी के मामले में पुलिस और बीमा कंपनी को शीघ्र सूचित करना अनिवार्य होता है. हालांकि, अदालतें पुलिस को शीघ्र सूचना और बीमा कंपनी को सूचित करने में विलंब के बीच अंतर करती हैं. यदि FIR तुरंत दर्ज कर ली गई हो और चोरी सत्यापित हो जाए, तो बीमाकर्ता को महज देरी से सूचना देने के आधार पर दावा अस्वीकार नहीं करना चाहिए. यह उपभोक्ताओं की व्यावहारिक समस्याओं और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाता है.