क्या है स्वामित्व योजना, जो आज रचेगी इतिहास; PM मोदी देंगे 65 लाख लोगों को बड़ी सौगात

क्या है स्वामित्व योजना
Svamitva Yojana: ग्रामीण भारत को आर्थिक प्रगति देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से स्वामित्व योजना (Svamitva Yojana) की शुरुआत की गई थी. आज यह योजना इतिहास रचने वाली है. PM नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)शनिवार को देश के 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना के तहत बड़ी सौगात देंगे. वह छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 65 लाख नागरिकों को वर्चुअली संपत्ति कार्ड वितरित करेंगे. साथ ही हितग्राहियों से संवाद भी करेंगे.
क्या है स्वामित्व योजना?
24 अप्रैल 2020 को ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस’ के मौके पर PM नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति को बढ़ाना है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवाद को कम करना है. इस योजना के तहत जमीन का रिकॉर्ड डिजिटल तैयार किया जाता है.

सरल शब्दों में समझा जाए तो स्वामित्व योजना के जरिए गांव में रहने वाले लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिया जाता है. इससे उन्हें अपनी जमीन का कानूनी दस्तावेज मिल जाता है. इस दस्तावेज को ‘संपत्ति कार्ड’ कहते हैं. इस कार्ड के जरिए वे बैंक से लोन ले सकते हैं, जमीन गिरवी रख सकते हैं या फिर उसे बेच भी सकते हैं. पहले गांवों में जमीन के मालिकाना हक को लेकर काफी विवाद होते थे. ऐसे में इस योजना से जमीनों को लेकर होने वाले झगड़ों में कमी आएगी. भूमि विवादों को कम करने के लिए इस योजना को PM मोदी का सबसे अहम कदम माना जाता है.

क्या है संपत्ति कार्ड वितरण का महत्त्व?
संपत्ति कार्ड के वितरण से ग्रामीण निवासियों को उनकी जमीन का कानूनी अधिकार मिल जाता है. ऐसे में उन्हें जब भी अपनी जमीन पर बैंक लोन चाहिए होगा तो उसमें मदद मिलेगी. इसके अलावा जमीनी विवादों को सुलझाने में सहायता प्रदान करेगा.

65 लाख लोगों को संपत्ति कार्ड का वितरण
PM नरेंद्र मोदी 18 जनवरी को 65 लाख हितग्राहियों को वर्चुअली संपत्ति कार्ड का वितरण करेंगे. वह अलग-अलग प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों के नागरिकों को यह सौगात देने के वाले हैं. स्वामित्व योजना के जरिए अब तक 3.17 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण के जरिए ग्रामीण भूमि के दस्तावेजीकरण में प्रगति की गई है. इनमें से 1.53 लाख गांवों के लिए संपत्ति कार्ड तैयार किए गए और कुल 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड वितरित किए जा चुके हैं.