UP News: घर में एक साथ रहते हैं 75 लोग, एक टाइम में लगता है 7 किलो आटा, सुर्खियों में है गोरखपुर का ये परिवार
UP News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का एक परिवार काफी चर्चाओं में है. इसका कारण है इस परिवार के सदस्यों की संख्या. दरअसल, परिवार में कुल 75 सदस्य हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि परिवार के सभी 75 सदस्य एक ही घर में मिल जुलकर रहते हैं. परिवार में चार पीढ़ियां निवास करती हैं. आसपास के क्षेत्रों के लोग इस परिवार को मिसाल के रूप में देखते हैं. एक निजी टीवी चैनल ने इस परिवार से बात की है, जिसमें सदस्यों ने बताया कि वह किस तरह इस बड़े परिवार में रहते हैं.
बताते चलें कि गोरखपुर के चौरी-चौरा विधानसभा के राजधानी नामक गांव में छत्रधारी यादव का 75 सदस्यीय परिवार पिछले 5-6 दशक से एकसाथ रहता आ रहा है. परिवार के मुखिया छत्रधारी यादव ने बताया कि वह चार भाई थे, लेकिन उनके दौ भाइयों का निधन हो चुका है. उन्होंने बताया कि परिवार के सभी सदस्य, बच्चे से लेकर महिलाओं तक सब बहुत ही संस्कारी हैं, जिस वजह से जॉइंट फैमिली में रहना संभव हो पाया है.
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एक मिनट के लिए बंद नहीं होता घर का चूल्हा
परिवार के बारे में बात करते हुए छत्रधारी यादव ने गर्व से बताया कि उनके घर का चूल्हा एक मिनट भी नहीं बुझता है. क्योंकि, इतना लंबा परिवार है इस वजह से दिनभर कुछ ना कुछ खाने के लिए बनता ही रहता है. घर की सभी महिलाएं आपसी तालमेल के साथ एक दूसरे के कामों में मदद करती हैं. कोई बर्तन धुलने में मदद करता है तो कोई सब्जी काटने में. कुछ खाना बनाते हैं तो कुछ परोसते हैं. ऐसा करके घर की महिलाओं का समय भी कट जाता है और घर का खाना भी बन जाता है. आगे उन्होंने बताया कि वैसे तो हर घर की तरह छोटे-मोटे विवाद होते रहते हैं, लेकिन हमारे परिवार में सब मैनेज हो जाता है. किसी बात पर मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं.
एक समय 7 किलो चावल और आटा का खर्च
छत्रधारी यादव ने आगे कहा कि हमेशा घर में सभी लोग नहीं रहते होते हैं. कुछ लोग काम को लेकर बाहर रहते हैं, वहीं कुछ लोग पढ़ाई-लिखाई के लिए भी बाहर रहते हैं. लेकिन, लगभग 45 से 50 लोग हमेशा घर में मौजूद रहते हैं. ऐसे में परिवार के सदस्यों के खाने के लिए एक टाइम में कुल 7 से 8 किलो आटे की रोटियां बनती हैं. जबकि इतने ही किलो चावल को पकाया जाता है. वहीं, दो से ढाई किलो तक दाल की जरूरत पड़ती है. सब्जियों की बात करें तो छत्रधारी के पास खुद के खेत हैं. उसी में वो तरह-तरह की सब्जियां उगाते हैं. इसलिए सब्जियों को वह अपने खेत से ही मंगा लेते हैं.
परिवार में 50 से अधिक मतदाता
मौजूदा समय में छत्रधारी यादव के घर में 50 से अधिक मतदाता हैं, इसलिए राजनीतिक पार्टियों की नजर उनके घर पर जरूर रहती है.’ उन्होंने बताया कि उनका परिवार खुद राजनीति से जुड़ा हुआ है और वह गांव के प्रधान रह चुके हैं. इसके अलावा उनकी धर्मपत्नी भी गांव की प्रधान रह चुकी हैं. छत्रधारी यादव ने बताया कि उनका परिवार पढ़ाई-लिखाई में भी काफी आगे है. घर के कुछ सदस्य प्रधानाचार्य, अध्यापक हैं. जबकि, कुछ लड़के बीटेक और बी फार्मा किए हुए हैं. जबकि परिवार के दो दर्जन से अधिक सदस्य अलग-अलग विभाग के सरकारी नौकरियों में हैं.