दंगों के इतने दाग, फिर भी नहीं संभला संभल! क्यों यूपी विधानसभा में इतिहास गिना बैठे CM योगी?
Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी (CM Yogi) ने संभल जिले में हुई हालिया सांप्रदायिक हिंसा को लेकर विधानसभा में बड़ा बयान दिया. उन्होंने संभल के दंगों के इतिहास गिनाए और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी. योगी ने कहा कि जिन लोगों ने पत्थरबाज़ी की है, वे बचेंगे नहीं. इस दौरान सीएम योगी ने विपक्ष को भी खूब बुरा-भला कहा.
संभल में सांप्रदायिक दंगों का लंबा इतिहास
सीएम योगी ने संभल के सांप्रदायिक दंगों का लंबा इतिहास बताया. उन्होंने 1947 से लेकर अब तक इस इलाके में हुए विभिन्न दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि संभल में समय-समय पर सांप्रदायिक तनाव बढ़ा और इससे कई बार हिंसा का रूप लिया. उन्होंने 1948 में हुए दंगे का उदाहरण दिया, जिसमें 6 लोग मारे गए थे. इसके बाद 1958-1962, 1976 और 1978 में भी यहां दंगे हुए, जिनमें कई हिंदू नागरिकों की जान गई. विशेष रूप से 1978 में एक बड़ी घटना हुई, जिसमें 184 हिंदू मारे गए थे.
सीएम योगी ने यह भी बताया कि सांप्रदायिक दंगों का सिलसिला संभल में लंबे समय से चलता आ रहा है, और यह केवल एक छोटे से समय का मामला नहीं है. इस प्रकार के दंगे यहां की ऐतिहासिक समस्या रहे हैं.
पत्थरबाज़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जिसने भी पत्थरबाज़ी की है, वह नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी और उन्हें सजा दिलवाएगी. उनका यह बयान ऐसे समय में आया जब संभल में जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़क गई थी. दरअसल, एएसआई की टीम मस्जिद की जांच के लिए वहां पहुंची थी.
संभल की हिंसा में मारे गए कई हिंदू
योगी आदित्यनाथ ने हिंसा के दौरान मारे गए हिंदू समुदाय के लोगों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संभल में पिछले कई दशकों में 200 से ज्यादा हिंदू मारे गए, लेकिन कभी भी इन हत्याओं के लिए किसी ने संवेदना व्यक्त नहीं की. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने हमेशा हिंदू समुदाय की पीड़ा को नजरअंदाज किया और इसके बजाय केवल राजनीतिक फायदे के लिए सांप्रदायिक मुद्दों को उठाया.
मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि वे हमेशा संविधान और सांप्रदायिक सौहार्द की बात करते हैं, लेकिन उनके नेताओं की कार्रवाई इससे मेल नहीं खाती. उन्होंने यह भी कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक दंगों की संख्या बहुत अधिक थी, लेकिन उनकी सरकार ने इस पर काबू पाया है. योगी के अनुसार, 2017 से अब तक प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे 99 प्रतिशत तक कम हो गए हैं, और यह उनकी सरकार की सफलता है.
सीएम योगी ने यह भी दोहराया कि उनकी सरकार हर तरह की हिंसा और सांप्रदायिक उन्माद को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि हर व्यक्ति को सुरक्षा मिले, चाहे वह किसी भी धर्म, समुदाय या जाति का हो. साथ ही, योगी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी परिस्थिति में सरकार की नीतियों और कानून व्यवस्था में कोई समझौता नहीं करेंगे.
46 साल पहले संभल में क्या हुआ था?
25 मार्च 1978, होली का दिन था, और संभल शहर में रंगों और खुशियों की गूंज थी. आसमान में गुलाल और मस्ती का माहौल था, लेकिन जमीन पर कुछ और ही हो रहा था. कुछ कट्टरपंथी ताकतें चुपके से अफवाहों का जाल फैलाने में जुटी थीं, और यह चिंगारी जल्द ही एक बड़ी आग में बदलने वाली थी. 29 मार्च को वह दिन आया, जब होली के चार दिन बाद संभल के गली-मोहल्लों में नफरत की एक ऐसी आग लगी, जिसने शहर को जलाकर राख कर दिया. यह आग इतनी खतरनाक थी कि आज भी जब लोग इसे याद करते हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
होली के बाद बढ़ी नफरत
होली के दिन की खुशियों के बीच ही कुछ मुद्दे उभरने लगे थे. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने होलिका दहन स्थल पर विवाद खड़ा किया था. एक दुकानदार ने अपनी दुकान का खोखा वहीं रख दिया था, और दूसरे ने चबूतरा बना लिया था. हालांकि, होलिका दहन से पहले इन विवादों को सुलझा लिया गया था, लेकिन कुछ लोगों ने इसको तूल देने की कोशिश की. इसके बाद एमजीएम कॉलेज के प्रबंध समिति में एक विवाद उठा, जिसमें मंजर शफी नामक व्यक्ति को सदस्यता मिलने से संबंधित असहमति थी. इस मुद्दे ने अफवाहों को जन्म दिया, और मंजर शफी ने कॉलेज में हिंदू और मुस्लिम छात्रों के बीच भेदभाव की बात की. इसके बाद मंजर ने बाजार बंद करने का आंदोलन किया, और जब हिंदू व्यापारियों ने इसका विरोध किया, तो स्थिति हिंसा में बदल गई.
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दंगे की शुरुआत
आरोप था कि हिंदू व्यापारियों ने मंजर शफी को मारा, जबकि असल में यह अफवाह थी. इस अफवाह ने मुस्लिम समुदाय में गुस्से की लहर पैदा की और फिर दंगाइयों ने पूरे शहर में हिंसा फैलानी शुरू कर दी. संभल के बाजारों और सब्जी मंडी में एक ही रात में 40 से ज्यादा दुकाने जला दी गईं. दंगाइयों ने न सिर्फ दुकानदारों को लूटा और पीटा, बल्कि उन्हें मौत के घाट उतार दिया. कई हिंदू दुकानदारों को पहले मारा गया, फिर उनकी लाशों को जलाया गया. पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, 1978 के दंगे में शुरुआत में ही 184 लोग मारे गए थे. इनमें से कई के शव तक नहीं मिले, और यह दंगा स्वतंत्रता के बाद संभल में सबसे बड़ा सांप्रदायिक दंगा बन गया था.
चश्मदीदों की दास्तान
सुरेन्द्र गौर, जो उस समय शिक्षक थे, ने अपने बेटे को खो दिया. उनका परिवार मुस्लिम मोहल्ले में रहता था, लेकिन दंगाइयों ने उनके बेटे को खींचकर मार दिया और 30 से ज्यादा लोगों को जिंदा जला दिया. सुरेन्द्र गौर के अनुसार, उस दिन की हिंसा ने शहर को पूरी तरह से हिला कर रख दिया था. इस दर्दनाक घटना के बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ मुस्लिम बस्ती को छोड़ दिया.
पुलिस रिकॉर्ड्स और दंगे की भयावहता
पुलिस रिकॉर्ड्स के अनुसार, 1978 के दंगे में 184 लोग मारे गए थे, और इनमें से कई के शव आज भी नहीं मिल पाए. यह दंगा संभल के इतिहास का सबसे बड़ा सांप्रदायिक दंगा था, और इसकी भयावहता को आज भी लोग याद करते हैं. 1978 के इन दंगों ने संभल को एक ऐसा घाव दिया, जिसका असर आज तक महसूस किया जा रहा है. अब संभल एक बार फिर से चर्चा में है. वजह फिर दंगा ही है, लेकिन इस बार का घाव पहले से थोड़ा छोटा है.