Lok Sabha Election: सुल्तानपुर में खिलेगा ‘कमल’ या होगा ‘खेला’? 2019 में BJP को मिली थी कड़ी टक्कर, जानिए क्या हैं समीकरण
Sultanpur Lok Sabha Election 2024: देश में जल्द लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, दोनों ही मायनों में उत्तर प्रदेश भारत का एक अहम राज्य है. अब आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी की सियासत में गर्माहट और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नजरें यूपी की रायबरेली और अमेठी की तरह ही सुल्तानपुर सीट पर भी टिकी हैं. फिर भी रायबरेली और अमेठी की तरह सुल्तानपुर को हाई-प्रोफाइल सीट की अहमियत कभी नहीं मिली.
किसी भी पार्टी ने अभी नहीं खोले पत्ते
सुल्तानपुर की सीट पर कांग्रेस से लेकर जनता दल, BJP और BSP ने अपने झंडे फहरा दिए हैं, लेकिन इस सीट पर समाजवादी पार्टी कभी भी जीत नहीं पाई है. वर्तमान में यह सीट BJP के हिस्से में है. मेनका गांधी इस सीट से सांसद हैं. इससे पहले वरुण गांधी इस सीट पर बतौर BJP प्रत्याशी जीत दर्ज की. ऐसे में BJP 2024 में भी इस सीट को अपने खाते में रखना चाहती है. हालांकि, अभी इस सीट पर किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है.
ओबीसी वोटर्स की बड़ी आबादी
यूपी के फैजाबाद मंडल में आने वाली इस सीट पर मुस्लिम, ठाकुर और ब्राह्मण के साथ-साथ ओबीसी वोटर्स की बड़ी आबादी है, जो प्रत्याशियों के हार जीत तय करने में अहम भूमिका निभाती है. सुल्तानपुर जिले की आबादी 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल 23 लाख 52 हजार के आस-पास है. इसमें 80 प्रतिशत हिंदू और 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं अनुसूचित जाति की आबादी 21.29 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी .02 फीसदी है. इस लोकसभा सीट पर 93.75 फीसदी ग्रामीण और 6.25 शहरी आबादी है.
मेनका गांधी को मिली थी कड़ी टक्कर
2019 में हुए 17वीं लोकसभा के दौरान सुल्तानपुर लोकसभा सीट से BJP प्रत्याशी मेनका गांधी को BSP उम्मीदवार चंद्रभद्र सिंह सोनू से कड़ी टक्कर मिली थी. करीबी मुकाबले में मेनका गांधी सिर्फ 15 हजार वोटों से ही जीत पाई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार BJP 2024 के चुनाव के लिए इस सीट पर काफी चर्चा कर रही है. कहा जा रहा है कि पार्टी यहां से किसी नए चेहरे को मैदान में उतार सकती है.
8 बार सत्ता रही कांग्रेस के हाथ में
बता दें कि सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर अब तक 17 चुनाव हुए हैं, जिसमें से सबसे अधिक 8 बार सत्ता कांग्रेस के हाथ में रही. वहीं BJP ने इस सीट पर पांच बार अपना परचम लहराया है. बसपा प्रत्याशियों ने भी यहां से दो बार जीत दर्ज की है. इससे पहले जनता दल ने एक बार, जनता पार्टी ने एक बार और निर्दलीय प्रत्याशी ने एक बार जीत दर्ज की है. वहीं इस सीट पर समाजवादी पार्टी का अब तक खाता नहीं खुल पाया है.