कौन हैं चंद्रभान पासवान, जिन्हें BJP ने बनाया मिल्कीपुर से उम्मीदवार? सपा के अजीत प्रसाद से मुकाबला

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर दोनों दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 17 जनवरी तक नामांकन की प्रक्रिया पूरी होनी है, और फिर 5 फरवरी को चुनाव होगा. मिल्कीपुर का चुनाव न सिर्फ स्थानीय बल्कि राज्य की राजनीति में भी बड़ा बदलाव ला सकता है.
Chandrabhan Paswan

मिल्कीपुर से बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभान पासवान

Milkipur By-Election: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी 2025 को उपचुनाव होने हैं, और इस चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. इस सीट पर हो रहे उपचुनाव को दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है. बीजेपी ने इस सीट पर युवा नेता चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है, जो कि फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं. इस मुकाबले को लेकर दोनों दलों में जुबानी जंग भी शुरू हो चुकी है.

बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को क्यों चुना ?

चंद्रभान पासवान बीजेपी के युवा और प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाते हैं. उन्हें पार्टी ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए उम्मीदवार के तौर पर चुना है. चंद्रभान पासवान फिलहाल जिला पंचायत सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं, और यह उनका दूसरा कार्यकाल है. चंद्रभान का राजनीतिक अनुभव और क्षेत्र में उनकी मजबूत पहचान उन्हें इस चुनाव के लिए एक सशक्त उम्मीदवार बनाती है.

चंद्रभान पासवान का परिवार सूरत में साड़ी का व्यवसाय करता है, और वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में हमेशा सक्रिय रहते हैं. उनका नाम रुदौली क्षेत्र में दो बार जिला पंचायत सदस्य के रूप में सामने आया है. इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर एक युवा चेहरा सामने रखा है.

बीजेपी के लिए यह चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी ने इस बार चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी को अपने युवा नेताओं पर पूरा विश्वास है.

समाजवादी पार्टी से अजीत प्रसाद उम्मीदवार

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने मिल्कीपुर सीट पर अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. अजीत प्रसाद फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं. अवधेश प्रसाद ने पिछले समय में मिल्कीपुर क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी, और उनका कहना है कि उनके बेटे अजीत प्रसाद इस चुनाव में जीत हासिल करेंगे.

अजीत प्रसाद के बारे में कहा जाता है कि वह जनता के बीच अपने संवाद और कार्यों के जरिए अपनी छवि बना चुके हैं. उन्होंने हमेशा अपने पिता के साथ मिलकर क्षेत्र के विकास के लिए काम किया है और अब वह मिल्कीपुर की जनता के सामने अपने विकास कार्यों और विचारों को रखने के लिए तैयार हैं. अजीत प्रसाद ने अपने प्रचार के दौरान यह दावा किया है कि वह इस चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करेंगे और मिल्कीपुर की राजनीति में एक नया अध्याय लिखेंगे.

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बीजेपी और सपा के बीच सियासी टकराव

चंद्रभान पासवान और अजीत प्रसाद के बीच होने वाली यह सियासी टक्कर अब सिर्फ मिल्कीपुर तक सीमित नहीं रही. यह उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए एक अहम चुनाव बन चुका है. बीजेपी और सपा दोनों के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. बीजेपी का लक्ष्य यह है कि चंद्रभान पासवान के जरिए सपा के अजीत प्रसाद को कड़ी चुनौती दी जाए और इस चुनाव को जीतकर प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत किया जाए.

वहीं, समाजवादी पार्टी के लिए यह चुनाव यह साबित करने का अवसर है कि वह अभी भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत है और उनकी पार्टी की जड़ें लोगों के बीच गहरी हैं. समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार के रूप में अजीत प्रसाद को उतारकर यह संदेश दिया है कि वह युवा नेताओं को आगे लाकर चुनावी राजनीति में अपनी जगह बनाए रखना चाहते हैं.

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर दोनों दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 17 जनवरी तक नामांकन की प्रक्रिया पूरी होनी है, और फिर 5 फरवरी को चुनाव होगा. मिल्कीपुर का चुनाव न सिर्फ स्थानीय बल्कि राज्य की राजनीति में भी बड़ा बदलाव ला सकता है. यदि बीजेपी यहां जीत हासिल करती है तो यह उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत होगी, जबकि अगर सपा की जीत होती है तो यह पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश होगा.

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