उत्तराखंड में लव और लैंड जिहाद का संकट? जानें वेरिफिकेशन ड्राइव क्यों चला रही है धामी सरकार

रिपोर्टों के अनुसार पिछले 10-11 वर्षों में राजधानी देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल समेत राज्य के चार जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने न केवल बड़ी संख्या में जमीनें खरीदी हैं, बल्कि उनकी बसावट भी उसी गति से बढ़ी है.
Uttarakhand Verification Drive

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

Uttarakhand Verification Drive: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में एक बड़े वेरिफिकेशन ड्राइव की शुरुआत की है. इस अभियान के तहत सरकार का उद्देश्य जनसांख्यिकी परिवर्तन, धर्म परिवर्तन, और लव जिहाद जैसी घटनाओं की जांच करना है. सरकार और कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में बाहरी लोगों के राज्य में बसने से जनसांख्यिकी में बदलाव आया है. खासकर पहाड़ी जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जो कि स्थानीय लोगों और अधिकारियों के बीच चिंता का विषय बन गई है. हालांकि 2011 के बाद कोई जनसंख्या जनगणना नहीं हुई है, लेकिन खासकर पहाड़ी जिलों के लोगों के बीच यह धारणा है कि पिछले कुछ वर्षों में बाहर से लोगों के बसने के कारण जनसांख्यिकी बदल गई है.

वेरिफिकेशन की जरूरत क्यों?

रिपोर्टों के अनुसार पिछले 10-11 वर्षों में राजधानी देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल समेत राज्य के चार जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने न केवल बड़ी संख्या में जमीनें खरीदी हैं, बल्कि उनकी बसावट भी उसी गति से बढ़ी है. सीमांत क्षेत्रों में भी मुस्लिम समुदाय की आबादी में लगातार वृद्धि देखी गई है. ऐसे में सीएम धामी ने देहरादून स्थित पुलिस मुख्यालय में राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जनसांख्यिकी परिवर्तन, धर्म परिवर्तन और लव जिहाद की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. इसलिए राज्य में असामाजिक तत्वों के बसने पर लगाम लगाने के लिए कुछ इलाकों में एक महीने का सत्यापन अभियान शुरू किया गया है. इसके पूरा होने के बाद सरकार को उम्मीद है कि जनसांख्यिकी परिवर्तन, यदि कोई है, तो उसका पता चल जाएगा.

हरिद्वार में गैर-हिंदू आबादी में वृद्धि!

कई रिपोर्टों के अनुसार, हरिद्वार जिले में गैर-हिंदू आबादी लगभग 40 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और सूत्रों के अनुसार इसका प्रभाव विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में देखा जाता है. इन अवैध बस्तियों में रहने वाले लोगों के बारे में बार-बार आशंकाएं जताई जाती रही हैं.  स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि ये अवैध बस्तियां योजनाबद्ध तरीके से बसाई जा रही हैं और इसमें रोहिंग्या या बांग्लादेशी शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, कुछ मदरसे भी खुल गए हैं, जिनमें संदिग्ध लोग आते-जाते देखे जाते हैं.

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ग्रामीणों ने लगाए साइन बोर्ड

गौरतलब है कि उत्तराखंड में इस वेरिफिकेशन ड्राइव के शुरू होने से पहले ही, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों के प्रवेश द्वार पर ग्रामीणों ने बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध के बारे में साइन बोर्ड लगाने शुरू कर दिए थे. उनका कहना है कि गांवों में चोरी की घटनाओं को देखते हुए अजनबियों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ बोर्ड पर यह भी लिखा है कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति ग्राम सभा में प्रवेश करता है तो उससे 5000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा.

जानकारी के मुताबिक, कई ग्राम सभाओं के बाहर ऐसे बोर्ड लगे हैं और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो ग्रामीणों का यह भी दावा है कि पिछले साल क्षेत्र में लव जिहाद की घटनाओं और नाबालिग लड़कियों को मुस्लिम लड़कों द्वारा बहला-फुसलाकर ले जाने के मामलों के बाद ग्रामीणों में गुस्सा है. इसलिए वे किसी भी हालत में बाहरी लोगों को गांव में प्रवेश नहीं करने देना चाहते हैं. साथ ही, इन लोगों की भाषा और रहन-सहन उत्तराखंड के स्थानीय लोगों से काफी अलग है और इससे उनकी असली पहचान पर सवाल उठते हैं.

उत्तराखंड की स्थिति को करीब से समझने वालों की मानें तो पहाड़ के लोग अब उत्तराखंड में अपनी पुश्तैनी सिंचित भूमि के महत्व को समझने लगे हैं. इसलिए राज्य में भूमि कानून की मांग बढ़ रही है और लोग इसलिए अपनी जमीन बाहरी लोगों को नहीं बेच रहे हैं. लोगों में अपनी जमीन बाहरी लोगों को देने को लेकर चिंता बढ़ रही है और इसलिए कई इलाकों में ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से फैसला लिया है कि वे किसी भी हालत में बाहरी लोगों को जमीन नहीं बेचेंगे. इसके लिए गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड भी लगाया गया है. जिसमें लिखा है कि अगर कोई स्थानीय व्यक्ति ऐसा करते पाया गया तो उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.

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