आधी रात को कब्रों से हड्डियां निकाल रही हैं UN की टीम, क्या ढाका की मिट्टी के नीचे दफन हैं हसीना के राज?
बांग्लादेश में कब्र खोद रही है यूएन की टीम
Bangladesh Mass Grave Excavation: बांग्लादेश की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर उबाल है, लेकिन इस बार वजह कोई विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि ज़मीन के नीचे दबे वो राज हैं जो शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ मिलकर एक ऐसा मिशन शुरू किया है, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. ढाका के रायरबाजार कब्रिस्तान में कब्रों की खुदाई शुरू हो चुकी है. दावा है कि यहां वे लोग दफन हैं जिन्हें शेख हसीना के शासनकाल के दौरान ‘गायब’ कर दिया गया था.
क्यों खोदी जा रही हैं पुरानी कब्रें?
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का आरोप है कि शेख हसीना के 15 साल के लंबे कार्यकाल (2008-2024) के दौरान पुलिस और सेना ने सत्ता के बल पर हज़ारों लोगों को मौत के घाट उतारा. इनमें से कई लोगों को गुपचुप तरीके से सामूहिक कब्रों में दफना दिया गया था ताकि कोई सबूत न बचे. अब सरकार उन ‘गायब’ हुए लोगों की पहचान करने और मौत की असली वजह जानने के लिए खुदाई करवा रही है.
अर्जेंटीना के ‘हड्डी एक्सपर्ट’ लुइस फोंडेब्राइडर की एंट्री
इस मिशन को अंजाम देने के लिए कोई साधारण टीम नहीं, बल्कि अर्जेंटीना के मशहूर फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजिस्ट लुइस फोंडेब्राइडर को बुलाया गया है. लुइस दुनिया भर में नरसंहार के बाद दफन लाशों की पहचान करने के विशेषज्ञ माने जाते हैं. उनके साथ बांग्लादेश के चार मेडिकल कॉलेजों की टीमें भी जुटी हैं. लुइस के मुताबिक, “यह काम बेहद जटिल है क्योंकि हड्डियां काफी पुरानी हो चुकी हैं और गल गई होंगी, लेकिन हम वैज्ञानिक तरीकों से मृतकों की पहचान की कोशिश करेंगे.”
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क्या हैं सरकार के दावे?
दावा किया जा रहा है कि एक ही स्थान पर करीब 140 लोगों को दफनाया गया है. यूनुस सरकार का आरोप है कि हसीना के कार्यकाल में लगभग 1,400 लोगों की हत्या की गई थी. इन अवशेषों की जांच के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है.
शेख हसीना के लिए बढ़ता खतरा
शेख हसीना फिलहाल भारत में शरण लिए हुए हैं, लेकिन बांग्लादेश में उन पर हत्याओं के कई मामले चल रहे हैं. यदि इन कब्रों से निकले अवशेषों की फॉरेंसिक रिपोर्ट यह साबित कर देती है कि इन्हें सरकारी आदेश पर मारा गया था, तो यह शेख हसीना के लिए ‘ताबूत में आखिरी कील’ साबित हो सकता है. इससे उनके प्रत्यर्पण की मांग भी तेज होगी. सरकार का कहना है कि शिनाख्त के बाद इन शवों को पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों और उनके परिवारों की सहमति से दोबारा सम्मान के साथ दफनाया जाएगा.