महज 6 तीव्रता का भूकंप और 800 मौतें…अफगानिस्तान में फॉल्ट लाइन ने कैसे मचाई तबाही?
अफगानिस्तान में भूकंप के बाद की तस्वीर
Afghanistan Earthquake:अफगानिस्तान में रविवार की रात 6.0 तीव्रता का भूकंप आया और देखते ही देखते 800 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हो गए. भूकंप का केंद्र जलालाबाद शहर से महज 27 किलोमीटर दूर था. लेकिन सवाल ये उठता है कि दुनिया के कई हिस्सों में सामान्य माना जाने वाला 6.0 तीव्रता का भूकंप अफगानिस्तान में इतना खतरनाक कैसे बन गया?
धरती की वो ‘फॉल्ट लाइन’ जो बन गई काल
अफगानिस्तान की धरती भूकंपों की कहानियों से भरी पड़ी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तबाही का सबसे बड़ा कारण है फॉल्ट लाइन. अब ये फॉल्ट लाइन है क्या? सोचिए, धरती की सतह के नीचे विशाल चट्टानें हैं, जो टेक्टोनिक प्लेट्स कहलाती हैं. ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, रगड़ खाती हैं और कभी-कभी खिसक जाती हैं. इस खिसकने से जो ऊर्जा निकलती है, वही भूकंप बनती है. अफगानिस्तान में ऐसी ही फॉल्ट लाइनें हैं, जहां ये प्लेट्स बार-बार हिलती-डुलती हैं. जब इनमें अचानक बड़ा उछाल आता है, तो तबाही मच जाती है.
क्यों अफगानिस्तान में ज्यादा नुकसान?
आप सोच रहे होंगे कि 6 तीव्रता का भूकंप तो जापान, चिली जैसे देशों में भी आता है, लेकिन वहां इतनी मौतें क्यों नहीं होतीं? इसका जवाब है अफगानिस्तान की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति. पहला, यहां की फॉल्ट लाइनें बेहद सक्रिय हैं, क्योंकि भारत और यूरेशिया की टेक्टोनिक प्लेट्स हर साल 45 मिलीमीटर की रफ्तार से एक-दूसरे की ओर बढ़ रही हैं. ये टकराव हिमालय और काराकोरम जैसे पहाड़ों को जन्म देता है, लेकिन साथ ही भूकंप का खतरा भी बढ़ाता है. दूसरा, अफगानिस्तान में ज्यादातर मकान कच्चे या कमजोर ढांचे के बने होते हैं, जो भूकंप का सामना नहीं कर पाते. तीसरा, आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों की कमी भी नुकसान को बढ़ाती है.
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अफगानिस्तान का भूकंपीय इतिहास
अफगानिस्तान से भूकंपों का पुराना नाता है. आइए, एक नजर डालते हैं हाल के कुछ बड़े भूकंपों पर…
अक्टूबर 2023: ब्रिटिश रेड क्रॉस सोसाइटी के अनुसार, हेरात प्रांत में 6.3 और 6.4 तीव्रता के भूकंपों ने 2,445 लोगों की जान ली.
जून 2022: पक्तिका और खोस्त में 6.1 तीव्रता का भूकंप, जिसमें 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए.
मार्च 2023: बदख्शां में 6.5 तीव्रता का भूकंप, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई.
जनवरी 2022: बदगीस में 5.3 तीव्रता के भूकंप ने 26 लोगों को लील लिया.
इन आंकड़ों से साफ है कि अफगानिस्तान की धरती बार-बार हिलती है, और हर बार भारी नुकसान होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में हर साल दुनिया की 15% भूकंपीय ऊर्जा रिलीज होती है. यानी, ये धरती का वो कोना है, जहां प्रकृति बार-बार अपनी ताकत दिखाती है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के भूकंप वैज्ञानिक ब्रायन बैप्टी के मुताबिक, अफगानिस्तान का ये भूकंप भारत और यूरेशिया प्लेट्स के टकराव का नतीजा है. ये टकराव इतना शक्तिशाली है कि इसने हिमालय जैसे विशाल पर्वत बनाए, लेकिन साथ ही ये क्षेत्र भूकंपों का गढ़ भी बन गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीमें घायलों की मदद के लिए अस्पतालों में जुटी हैं, लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं.
अफगानिस्तान में भूकंप का खतरा कम होने वाला नहीं है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भूकंप-रोधी इमारतें, बेहतर आपदा प्रबंधन और लोगों में जागरूकता ही इस नुकसान को कम कर सकती है. लेकिन इसके लिए संसाधनों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है.