पाकिस्तान के डेटा में गड़बड़झाला, IMF ने लगाई फटकार, मांग लिया एक-एक पैसे का हिसाब!
पाकिस्तान को आईएमएफ ने लगाई फटकार!
Pakistan News: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की आर्थिक दुनिया में एक बार फिर हलचल मच गई है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान के आयात डेटा में करीब 11 बिलियन डॉलर की गड़बड़ी पकड़ी है. ये मामला इतना गंभीर है कि IMF ने पाकिस्तान को साफ-साफ कह दिया है कि अपनी डेटा प्रणाली को दुरुस्त करो, नहीं तो भरोसा टूटने का खतरा है. आखिर ये गड़बड़झाला है क्या? चलिए, विस्तार से जानते हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पाकिस्तान रेवेन्यू ऑटोमेशन लिमिटेड (PRAL) और पाकिस्तान सिंगल विंडो (PSW) के बीच आयात डेटा में भारी अंतर पाया गया है. 2023-24 में PRAL ने आयात का आंकड़ा PSW से 5.1 बिलियन डॉलर कम बताया. अगले साल यानी 2024-25 में ये अंतर और बढ़कर 5.7 बिलियन डॉलर हो गया. यानी कुल मिलाकर 11 बिलियन डॉलर की गड़बड़ी. ये रकम इतनी बड़ी है कि अगर इसे रुपये में बदलें, तो भारत में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पूरे हो सकते हैं.
इस गड़बड़ी ने IMF को भी चिंता में डाल दिया है. IMF का कहना है कि अगर डेटा में इतनी बड़ी गलती होगी, तो लोग सरकार के आंकड़ों पर कैसे भरोसा करेंगे?
इतनी बड़ी चूक हुई कैसे?
अब सवाल ये है कि इतनी बड़ी चूक हुई कैसे? दरअसल, PRAL और PSW अलग-अलग तरीकों से डेटा इकट्ठा करते हैं. PRAL सिर्फ 7 तरह के सामान की डिक्लेरेशन पर काम करता है, जबकि PSW 15 तरह के सामान को कवर करता है. यानी PSW का डेटा ज्यादा व्यापक है. खासकर टेक्सटाइल और कच्चे माल के आयात में करीब 3 बिलियन डॉलर की गड़बड़ी पकड़ी गई. इसके अलावा, पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक (State Bank of Pakistan) के डेटा में भी आयात का आंकड़ा PSW से कम था.
ये डेटा देश के करंट अकाउंट सरप्लस की गणना में इस्तेमाल होता है, जिससे आर्थिक स्थिति का पता चलता है. लेकिन गलत डेटा की वजह से पूरी तस्वीर ही गड़बड़ा गई. पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, ये गड़बड़ी कोई साजिश नहीं, बल्कि पुराने सिस्टम और तकनीकी खामियों का नतीजा है. PRAL का सिस्टम पुराना हो चुका है और इसे अपग्रेड करने की कोशिश भी नाकाम रही. यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने PRAL को दिसंबर तक बंद करने का आदेश दे दिया है.
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पाकिस्तान की हालत
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही डगमगा रही है. IMF से बार-बार कर्ज लेना पड़ता है और अभी भी वो दो बड़े प्रोग्राम्स, एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) और रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के तहत कर्ज ले रहा है. EFF से 7 बिलियन डॉलर और RSF से 1.3 बिलियन डॉलर का कर्ज मिला है. 1958 से अब तक पाकिस्तान ने IMF के साथ 25 बार कर्ज का इंतजाम किया है, यानी हर ढाई साल में एक बार. IMF ने पाकिस्तान से कहा है कि वो अपने डेटा को पारदर्शी बनाए, ताकि निवेशकों और जनता का भरोसा बना रहे. लेकिन इस गड़बड़ी ने पाकिस्तान की आर्थिक छवि को और धक्का पहुंचाया है.
भारत ने भी जताई चिंता
इस बीच, भारत ने भी IMF की बोर्ड मीटिंग में इस कर्ज को मंजूरी देने के वोट से दूरी बनाई. भारत को डर है कि कहीं ये पैसा सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल न हो. ये बात पाकिस्तान की मुश्किलों को और बढ़ा सकती है. पाकिस्तान ने इस मसले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है, जिसने पाया कि पुराने सॉफ्टवेयर और डेटा कलेक्शन की गलतियां इस गड़बड़ी की जड़ हैं. अब पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (PBS) को इस डेटा को ठीक करने की जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सुधार वाकई भरोसा बहाल कर पाएंगे, या फिर पाकिस्तान की आर्थिक गाड़ी और पटरी से उतर जाएगी?