MP News: प्रदेश में 244 नायब तहसीलदार नहीं बन पाए तहसीलदार; कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट बनी वजह, बढ़ रहा है काम का बोझ
MP News: मध्य प्रदेश में कोई 200 से ज्यादा नायब तहसीलदारों को उच्च पद पर जाने का मौका नहीं मिल पाया है. कारण है कि एक साल से इनकी सीआर (कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) यानी गोपनीय रिपोर्ट को सहमति नहीं मिल पाई है. जबकि इनके द्वारा अनेकों बार विभाग को बताया गया है. पिछले साल इन्होंने इसके लिए निर्धारित प्रपत्र में जानकारी भरी गई थी.
कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट को नहीं मिली मंजूरी
प्रदेश में 244 नायब तहसीलदार हैं. जिन्हें उच्च पदनाम पाकर तहसीलदार का प्रभार प्राप्त करना है. साल 2022-23 के गोपनीय सालाना रिपोर्ट (कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) को मंजूरी नहीं मिल पाई है. वहीं 31 दिसंबर 2023 सीआर (कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) लिखने की अंतिम तिथि थी. सभी दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद समय-सीमा में यह प्रक्रिया पूरी होनी थी. पिछले साल दिसंबर से ही नायब तहसीलदार गोपनीय रिपोर्ट लिखवाने के लिए प्रयास करते रहे हैं. मौजूदा साल की शुरूआत हुई, तब भी नायब तहसीलदार अपने स्तर से विभाग से संपर्क करते रहे. इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी तो प्रक्रिया में देरी होती गई. स्थिति यह है कि नायब तहसीलदार आये दिन मंत्रालय में संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहे हैं.
प्रमोशन नहीं होने की वजह से नहीं बन पाए डिप्टी कलेक्टर
प्रदेश में पद संरचना के अनुसार 606 पद तहसीलदारों के लिए स्वीकृत हैं. इनमें 238 पद खाली पड़े हुए हैं. कारण है कि अधिकांश तहसीलदारों को उच्च पदनाम देकर डिप्टी कलेक्टर बना दिया गया है. करीब 35 तहसीलदार ही हैं जो अभी तक डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाये हैं.
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कलेक्टर ने बनाया दबाव, तहसीलदारों पर बढ़ा काम का बोझ
कलेक्टर्स ने काम को गति देने के लिए इन पर अतिरिक्त काम का बोझ डाल दिया है. प्रदेश में एक-एक तहसीलदार को तीन से लेकर चार-चार तहसीलों की जवाबदारी सौंपी है. अधिकांश तहसीलों में नायब तहसीलदार प्रदेश में तहसीलदार का काम तो कर रहे हैं लेकिन उनके पास इस पद का अधिकृत प्रभार नहीं है. अब नायब तहसीलदारों का कहना है कि उनकी संख्या 244 है, जो उच्च पद की पात्रता रखते हैं. अगर विभाग गोपनीय रिपोर्ट लिखे दे तो 238 पद आसानी से भर सकते हैं.
इसलिए निकाला गया यह रास्ता
प्रदेश में साल 2016 से प्रमोशन पर प्रतिबंध लगा हुआ है. पदोन्नतियों के लिए प्रदेश भर के अधिकारी-कर्मचारी सरकार पर दबाव बना रहे थे. तब वरिष्ठता के आधार पर उच्च पदनाम का रास्ता निकाला गया है. विभागों में यह प्रक्रिया अंतिम चरणों में है. सरकार के भी आदेश हैं कि उच्च पदनाम की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए. ताकि रिटायरमेंट के करीब लोकसेवकों को भी यह लाभ मिल सके. यही चिंता नायब तहसीलदारों को है कि समय से उन्हें यह लाभ मिलना चाहिए.