इन दो परिवारों से मिलना चाहते थे चंद्रशेखर ‘रावण’, जानिए क्या है ‘करछना बवाल’ के पीछे की पूरी कहानी

मामला तब सुर्खियों में आई जब चंद्रशेखर आज़ाद फ्लाइट से प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे. उनका इरादा कौशांबी और प्रयागराज (करछना) में दो अलग-अलग परिवारों से मिलने का था. पुलिस पहले से ही सतर्क थी और जैसे ही आज़ाद एयरपोर्ट से बाहर निकले, उन्हें उनके समर्थकों के साथ कौशांबी जाने से रोक दिया गया. इसके बजाय, उन्हें प्रयागराज के सर्किट हाउस में 'हाउस अरेस्ट' कर लिया गया.
Karachhana Violence

हिंसा के दौरान की तस्वीरें

Karachhana Violence: सुरक्षाबलों और भीम आर्मी के समर्थकों के बीच झड़प के बाद उत्तर प्रदेश का करछना इलाका 29 जून को जंग का मैदान बन गया. दरअसल, ‘रावण’ के नाम से मशहूर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद दो दलित परिवारों से मिलने प्रयागराज जा रहे थे. इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया.  

कैसे शुरू हुआ बवाल?

मामला तब सुर्खियों में आई जब चंद्रशेखर आज़ाद फ्लाइट से प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे. उनका इरादा कौशांबी और प्रयागराज के करछना में दो अलग-अलग परिवारों से मिलने का था. पुलिस पहले से ही सतर्क थी और जैसे ही आज़ाद एयरपोर्ट से बाहर निकले, उन्हें उनके समर्थकों के साथ कौशांबी जाने से रोक दिया गया. इसके बजाय, उन्हें प्रयागराज के सर्किट हाउस में ‘हाउस अरेस्ट’ कर लिया गया.

पुलिस के इस कदम से भीम आर्मी के समर्थक भड़क उठे. शाम होते-होते करछना के कौड़ीहार मार्ग पर भारी भीड़ जमा हो गई और प्रदर्शन हिंसक हो गया. प्रदर्शनकारियों ने जमकर पथराव किया और वाहनों में तोड़फोड़ की. यह बवाल लगभग दो घंटे तक चला, इस दौरान कई दर्जन गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं. इनमें पुलिस की चार गाड़ियां भी शामिल थीं. उपद्रवियों ने 15 मोटरसाइकिलों को भी आग के हवाले कर दिया. स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि पुलिस टीम पर भी हमला किया गया, जिसमें एक दर्जन से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए.

किन परिवारों से मिलना चाहते थे चंद्रशेखर आज़ाद और क्यों?

सर्किट हाउस में ‘हाउस अरेस्ट’ होने के बाद चंद्रशेखर आज़ाद ने मीडिया को बताया कि वह क्यों इन परिवारों से मिलना चाहते थे.

कौशांबी का पाल परिवार

यह मामला कौशांबी जिले के सैनी थाना क्षेत्र के लोहांगा गांव का है. 27 मई को पाल समुदाय की एक 8 साल की बच्ची के साथ कथित रेप की घटना सामने आई थी. परिजनों ने गांव के ही एक युवक सिद्धार्थ तिवारी के खिलाफ केस दर्ज कराया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

लेकिन इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब 4 जून को आरोपी सिद्धार्थ के पिता रामबाबू तिवारी ने आत्महत्या कर ली. रामबाबू ने सुसाइड नोट लिखकर आरोप लगाया कि उनके बेटे को गांव के प्रधान भूप नारायण पाल ने चुनावी रंजिश के चलते झूठे मुकदमे में फंसाया है. इस घटना के बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया. बाद में कोर्ट ने रेप के आरोप में जेल में बंद सिद्धार्थ को जमानत दे दी, और रेप व पॉक्सो की धाराएं भी हटा दी गईं.

आरोपी के वकील ने बताया कि पीड़िता ने धारा 164 के तहत बयान देते हुए कहा था कि उसने अपनी मां के कहने पर बयान दिया था. मामले की जांच फिलहाल प्रतापगढ़ की एसआईटी कर रही है. चंद्रशेखर आज़ाद इसी पाल परिवार से मिलकर उन्हें समर्थन और न्याय का आश्वासन देना चाहते थे.

यह भी पढ़ें: हिरासत में हैवानियत! तमिलनाडु में मंदिर गार्ड अजित कुमार की मौत से भड़का जनआक्रोश

करछना का दलित देवी शंकर का परिवार

दूसरा मामला प्रयागराज के करछना थाना क्षेत्र के इसौटा गांव का था. 12 अप्रैल की शाम को एक दलित युवक देवी शंकर को कुछ लोग गेहूं ढोने के बहाने घर से बुलाकर ले गए थे. अगले दिन सुबह उसका अधजला शव बरामद हुआ, जिसने इलाके में सनसनी फैला दी.

पुलिस जांच के अनुसार, आरोपियों ने पहले देवी शंकर को शराब पिलाई, फिर विवाद के दौरान पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को कपड़ों से ढककर आग लगा दी गई ताकि पहचान मिटाई जा सके. हालांकि, तेज हवाओं के कारण आग बुझ गई और शव पूरी तरह जल नहीं पाया, जिससे यह जघन्य अपराध सामने आया.

पुलिस ने बताया कि देवी शंकर का गांव की एक लड़की से प्रेम संबंध था, और इसी को लेकर दिलीप सिंह उर्फ छुट्टन के परिवार से उसकी रंजिश चल रही थी. इस मामले में संजय सिंह, मोहित सिंह, मनोज सिंह, अवधेश सिंह, दिलीप सिंह (छुट्टन), विमलेश गुप्ता, शेखर सिंह और अजय सिंह सहित 8 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज करके जेल भेजा गया था. चंद्रशेखर आज़ाद इस दलित परिवार को न्याय दिलाने और उनका दुख बांटने के लिए वहां जाना चाहते थे.

बवाल के बाद की स्थिति

करछना में हिंसा शांत होने के बाद पुलिस और प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की. वीडियो फुटेज और तस्वीरों की मदद से पुलिस ने उपद्रव में शामिल 50-60 लोगों की पहचान की है, और अब तक दो दर्जन से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है. इलाके के आसपास के गांवों में भी सर्च ऑपरेशन (समन चेकिंग अभियान) चलाया गया. घटनास्थल से तीन दर्जन से ज़्यादा लावारिस बाइकें भी मिली हैं, जिनकी मदद से पुलिस आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. फिलहाल, संवेदनशील इलाकों में पुलिस और पीएसी की टीमें तैनात हैं और इलाके में शांति बनी हुई है.

‘रावण’ ने क्या कहा?

इस मामले को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि नीला साफा कोई और भी पहन सकता है, अभी कोई जांच हुई है? पुलिस ने कोई जांच रिपोर्ट नहीं दी है. लेकिन, ये मीडिया का चरित्र ऐसा है कि कमजोर वर्गों के लोगों को झूठे आरोप लगाकर उनका मीडिया ट्रायल करके उन्हें आरोपी साबित कर देते हैं. आप ये मानते हैं कि नीले झंडे वाले भीम आर्मी के ही लोग होते हैं. इसका मतलब है जो दूसरे गमछे वाला है वो भाजपा का होगा.

उन्होंने कहा कि पुलिस को इस मामले की जांच करनी चाहिए. जो दोषी हों उस पर कार्रवाई की जाए लेकिन, इसकी आड़ में निर्दोष कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न न किया जाए. न तो मैं मौके पर मौजूद था. न आप थे. लेकिन, आपने पहले ही फैसला सुना दिया है. मैंने पुलिस से कहा कि है कि जो गलत है उन पर कार्रवाई हो लेकिन, आम कार्यकर्ताओं को परेशान न किया जाए. हम पुलिस प्रशासन के साथ हैं.

ज़रूर पढ़ें