जल संसाधन का रेवेन्यू टारगेट 750 करोड़, 3 महीने में हुई मात्र 30 करोड़ की वसूली, सबसे ज्यादा किसानों और उद्योगपतियों से होनी है रिकवरी

MP News: जल संसाधन विभाग ने रेवेन्यू टारगेट 750 करोड़ रुपये रखा है. 3 महीने में करीब 30 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. सबसे ज्यादा वसूली किसानों और उद्योगपतियों से की जानी है
Vallabh Bhawan (Photo: Social Media)

वल्लभ भवन (फोटो: सोशल मीडिया)

MP News: जलसंसाधन विभाग के मैदानी कार्यालय लक्ष्य के अनुरूप राजस्व वसूली नहीं कर पा रहे है. इस वर्ष 750 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य विभाग ने तय किया था. इसके विरुद्ध अभी भी 720 करोड़ 88 लाख रुपए की वसूली होना बाकी है. मध्य प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में पूरे प्रदेश में पूर्व के वर्षों के मूल एवं ब्याज सहित 1209 करोड़ 92 लाख रुपए की वसूली की जाना बाकी थी. चालू वित्तीय वर्ष की 456 करोड़ 91 लाख रुपए और बाकी है.

29 करोड़ रुपये की हुई वसूली

विभाग ने इस वर्ष कुल वसूली के लिए 750 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य तय किया था. इसमें से तीन महीने में नाम मात्र की वसूली हो पाई है. इसमें से अभी तक 720 करोड़ 88 लाख रुपए की वसूली होना बाकी है चंबल-बेतवा कछार भोपाल को लक्ष्य के विरुद्ध अभी 239 करोड़ 18 लाख 39 हजार रुपए की वसूली करना बाकी है. गंगा कछार रीवा को 242 करोड़ 88 लाख रुपए की वसूली करना बाकी है. यमुना कछार ग्वालियर 29 करोड़ 42 लाख रुपए की वसूली नहीं कर पाया है. नर्मदा ताप्ती कछार इंदौर को 28 करोड़ 47 लाख रुपए की वसूली करना बाकी है.

जलसंसाधन विभाग उज्जैन ने 28 करोड़ 86 लाख रुपए की वसूली नहीं की है. जलसंसाधन विभाग नर्मदापुरम भी 40 करोड़ 9 लाख रुपए की वसूली नहीं कर पाया है. राजनहर सिंध परियोजना दतिया ने लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 14 करोड़ 50 लाख रुपए की वसूली नहीं की है. धसान केंद्र कछार सागर ने 26 करोड़ 51 लाख रुपए की वसूली नहीं की है. बेनगंगा कछार सिवनी ने 61 करोड़ 40 लाख रुपए की वसूली नहीं की है. एक-के पीएमयू राजगढ़ ने 12 करोड़ 7 लाख रुपए की वसूली नहीं की है. एसएस पीएमयू इंदौर को भी 6 करोड़ दस लाख रुपए की वसूली करना बाकी है.

अभियंता ने जताई नाराजगी

जलसंसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता विनोद कुमार देवड़ा ने सभी कछारों और विभागके मुख्य अभियंताओं को पत्र लिखकर राजस्व वसूली मे धीमी गति पर नाराजगी जाहिर की है. राजस्व वसूली की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में समय सीमा में भेजने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है इस पर भी नाराजगी जाहिर की गई है. हर माह दस तारीख तक जानकारी भेजने को कहा गया है. उद्योगों, नगरीय निकायों को भेजे जा रहे जल के स्रोत अनुबंध की स्थिति एवं जलप्रदाय की स्थिति का उल्लेख करने को कहा गया है. उद्योगों, निजी पावर प्लांट एवं एनीपीसी की राजस्व वसूली अलग- अलग भेजने को कहा गया है.

ये भी पढ़ें: Sehore: अपनी ही विधानसभा में कैबिनेट मंत्री करण सिंह वर्मा घिरे, कच्ची सड़क की समस्या को लेकर महिलाओं ने किया घेराव

सबसे ज्यादा किसान और उद्योगों से होना है वसूली

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है की सबसे ज्यादा किसानों से और उद्योग से वसूली होनी है. इसके लिए कई बार स्थानीय स्तर पर जल संसाधन विभाग के अधिकारी वसूली करते हैं लेकिन उसके बाद भी रकम पूरी नहीं दी जाती है. हालांकि अब पटवारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी वसूली में शामिल किया जाएगा. अगर वसूली समय पर नहीं होती है तो नहर और निर्माण संबंधी कार्य प्रभावित हो जाएंगे.

ज़रूर पढ़ें