अखिलेश यादव का ‘शिव-शक्ति’ दांव, क्या इटावा का केदारेश्वर मंदिर बदलेगा यूपी की सियासी हवा?

भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अखिलेश यादव को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने के लिए घेरते रहे हैं, उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन अब, सपा इटावा में इस शिव मंदिर के निर्माण का इस्तेमाल इन आरोपों का मुकाबला करने के लिए कर रही है.
Etawah Kedareshwar Temple

सीएम योगी और अखिलेश यादव

Etawah Kedareshwar Temple: भारतीय राजनीति में धर्म और आस्था का समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है. और अब, उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है, जहां समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो न सिर्फ उनके विरोधियों को चौंका रहा है, बल्कि आम जनता में भी उत्सुकता जगा रहा है. इटावा में एक विशालकाय शिव मंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसे केदारेश्वर मंदिर नाम दिया गया है. यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि अखिलेश की नई सियासी रणनीति का संकेत माना जा रहा है.  

मंदिर निर्माण की कहानी

यह कहानी 2021 में शुरू होती है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया था. ठीक सात महीने बाद, अखिलेश यादव ने इटावा में इस भव्य शिव मंदिर की नींव रखी. दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण एक ट्रस्ट करवा रहा है, जिसके अध्यक्ष खुद अखिलेश यादव हैं. हाल ही में जब पीएम मोदी ने जनवरी 2024 में अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन किया, तो लगभग उसी समय अखिलेश की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव ने केदारेश्वर मंदिर के अभिषेक समारोह का नेतृत्व किया. अगले छह महीनों के भीतर, ये दोनों मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएंगे, ठीक 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले.

अयोध्या के राम मंदिर और इटावा के केदारेश्वर मंदिर के बीच कई समानताएं हैं. जैसे, मूर्तियों को बनाने के लिए तमिलनाडु के कन्याकुमारी से ‘कृष्णपुरुष शिला’ नामक ग्रेनाइट पत्थर मंगवाया गया है, ठीक वैसे ही जैसे राम मंदिर के लिए पत्थर वहीं से आए थे. निर्माण में भी प्राचीन तरीकों का इस्तेमाल हो रहा है. चूना पत्थर, केला, शहद और गुड़ के मिश्रण से पत्थरों को जोड़ा जा रहा है, लोहे या सीमेंट का उपयोग नहीं हो रहा है.

‘हिंदू विरोधी’ टैग का मुकाबला

भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अखिलेश यादव को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने के लिए घेरते रहे हैं, उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन अब, सपा इटावा में इस शिव मंदिर के निर्माण का इस्तेमाल इन आरोपों का मुकाबला करने के लिए कर रही है.

इटावा से आने वाले सपा महासचिव गोपाल यादव ने अखिलेश यादव के जन्मदिन पर केदारेश्वर महादेव मंदिर में प्रसाद वितरण का कार्यक्रम रखा. उन्होंने खुलकर कहा कि सपा के हिंदू विरोधी होने की अफवाह भाजपा ने फैलाई है. बीजेपी दुष्प्रचार में अधिक विश्वास करती है.” गोपाल यादव ने यह भी याद दिलाया कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने इटावा में हनुमान जी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की थी, जहां आज भी हर बड़े अवसर से पहले पूजा-अर्चना की जाती है. सैफई में कृष्ण की एक भव्य मूर्ति भी बन रही है. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि अखिलेश यादव नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखते हैं, लेकिन वे इसका दिखावा नहीं करते. उनका मानना है कि रीति-रिवाज सभी के लिए होते हैं, किसी जाति विशेष के नहीं.  

यह भी पढ़ें: बिहार कैसे बन गया अपनों के लिए परदेस…क्यों रूठ गई उसकी अपनी जवानी? कलेजे को चीर दे ऐसी है कहानी

क्या बदलेगी जनता की धारणा?

हालांकि, भाजपा का दावा है कि इटावा मंदिर से सपा के बारे में लोगों की धारणा नहीं बदलेगी. भाजपा के इटावा जिलाध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि सपा नेताओं ने राम मंदिर का दौरा नहीं किया और अपने नेताओं को भी वहां जाने से रोका. उन्होंने अखिलेश के ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के नारे का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि उनके लिए पीडीए का मतलब सिर्फ यादव है, और कोई नहीं.

ज़रूर पढ़ें