मनसे की गुंडागर्दी! नांदेड़ में मराठी नहीं बोलने पर शौचालय कर्मचारी की कर दी पिटाई, मन नहीं भरा तो राज ठाकरे से मंगवाई माफी

यह कोई पहली घटना नहीं है. इस महीने की शुरुआत में ठाणे में MNS कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारे थे, क्योंकि उसने पूछ लिया था कि मराठी बोलना क्यों जरूरी है. कुछ दिन बाद मुंबई के विखरोली में भी एक दुकानदार पर हमला हुआ था. इन घटनाओं ने महाराष्ट्र में भाषा के मुद्दे को और हवा दे दी है.
Marathi Language Controversy

महाराष्ट्र में फिर से हिंदी बोलने पर पिटाई

Marathi Language Controversy: महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक बार फिर भाषा का मुद्दा गरमा गया है. इस बार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने एक सुलभ शौचालय कर्मचारी की सिर्फ इसलिए पिटाई कर दी, क्योंकि उसने मराठी में बात करने से इनकार कर दिया. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तूफान की तरह वायरल हो रहा है और लोग इस गुंडागर्दी पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.

बस स्टॉप पर 5 रुपये का विवाद

बात नांदेड़ के एक बस स्टॉप की है, जहां एक पब्लिक शौचालय है. एक शख्स ने शौचालय के कर्मचारी पर इल्जाम लगाया कि वह महिलाओं से शौचालय इस्तेमाल करने के लिए 5 रुपये वसूल रहा है. इस शख्स ने गुस्से में अपना मोबाइल निकाला और कर्मचारी का वीडियो बनाना शुरू कर दिया. उसने कर्मचारी से उसका नाम पूछा, लेकिन कर्मचारी ने नाम बताने से मना कर दिया. उसने उल्टा पूछ लिया, “क्या तुम खुद को कोई बड़ा आदमी समझते हो?”

शख्स ने कहा कि वह इसकी शिकायत करेगा. इस पर कर्मचारी ने हिंदी में जवाब दिया, “जाओ, चले जाओ.” बस, यहीं से मामला पलट गया. वीडियो बना रहे शख्स ने तुरंत टोका, “मराठी में बात करो.” कर्मचारी ने गुस्से में पलटकर कहा, “नहीं बोलूंगा मराठी, तो क्या कर लोगे? जाओ!” पास में खड़ी एक महिला भी कर्मचारी से भिड़ गई, और बहस गर्म हो गई. वीडियो बना रहे शख्स ने धमकी दी, “अब मैं तुम्हें दिखाता हूं कि मैं क्या कर सकता हूं.”

MNS कार्यकर्ताओं का गुंडागर्दी

उसी शख्स ने यह वीडियो MNS के स्थानीय नेताओं को भेज दिया. अगले दिन का एक और वीडियो सामने आया, जिसमें MNS के कार्यकर्ता, जिनके गले में पार्टी का स्कार्फ लटक रहा था, शौचालय कर्मचारी को घेरकर खड़े थे. भीड़ में से एक शख्स ने कर्मचारी के चेहरे पर जोरदार मुक्का जड़ दिया. जब एक दूसरा व्यक्ति बीच-बचाव करने आया, तो उसे भी धक्का दे दिया गया.

MNS कार्यकर्ताओं ने कर्मचारी को तीन थप्पड़ मारे और चिल्लाकर पूछा, “महिलाओं को गाली देता है? मराठी बोलता है कि नहीं? तुझे मराठी आती है?” कर्मचारी डर के मारे कांप रहा था. कार्यकर्ताओं ने तंज कसते हुए कहा, “अगर तू कहता कि मराठी नहीं आती, सीख रहा हूं, तो क्या हम यहां होते?”

राज ठाकरे से मंगवाई माफी

बात यहीं नहीं रुकी. MNS कार्यकर्ताओं ने कर्मचारी को शौचालय से बाहर खींचा और उससे माफी मंगवाई. उन्होंने कर्मचारी को कान पकड़ने को कहा और मराठी में दोहराने को मजबूर किया, “मैं मराठी लोगों और राज ठाकरे से माफी मांगता हूं. मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा.”

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पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

यह कोई पहली घटना नहीं है. इस महीने की शुरुआत में ठाणे में MNS कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारे थे, क्योंकि उसने पूछ लिया था कि मराठी बोलना क्यों जरूरी है. कुछ दिन बाद मुंबई के विखरोली में भी एक दुकानदार पर हमला हुआ था. इन घटनाओं ने महाराष्ट्र में भाषा के मुद्दे को और हवा दे दी है.

MNS और शिवसेना उद्धव गुट का कहना है कि महाराष्ट्र में तीन-भाषा नीति के नाम पर हिंदी को “थोपा” जा रहा है. MNS प्रमुख राज ठाकरे ने पिछले हफ्ते X पर एक पोस्ट में अपने कार्यकर्ताओं की तारीफ की थी. उन्होंने लिखा, “जब कोई मराठी लोगों के गले में कील ठोकने की कोशिश करता है, तो मुझे गर्व है कि मेरे महाराष्ट्र के सैनिक उसका जवाब थप्पड़ से देते हैं. यह उनकी भाषा और मराठी लोगों के लिए प्यार है.”

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना की निंदा की है. उन्होंने कहा, “मराठी न बोलने की वजह से हिंसा करना बिल्कुल गलत है. यह स्वीकार्य नहीं है.” लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसी निंदा से MNS कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी रुकेगी? विपक्षी नेता भी इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिख रही.

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