नहीं रहे ‘रामायण’ के हर सीन को जीवंत करने वाले रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर, पीछे छोड़ गए यादगार सिनेमाई विरासत
प्रेम सागर का निधन
Prem Sagar Passes Away: टीवी के मशहूर सीरियल ‘रामायण’ को घर-घर पहुंचाने वाले रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर अब हमारे बीच नहीं रहे. 31 अगस्त, 2025 को सुबह 10 बजे उनका निधन हो गया. प्रेम सागर एक जाने-माने निर्माता और सिनेमैटोग्राफर थे, जिन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया.
पर्दे के पीछे रहकर भी दर्शकों तक पहुंचे प्रेम सागर
प्रेम सागर ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से पढ़ाई की थी, जहां उन्होंने कैमरे और फोटोग्राफी की बारीकियों को सीखा. उनकी कला और मेहनत का सबसे बड़ा सबूत रामानंद सागर की ‘रामायण’ है. इस सीरियल के हर एक सीन को यादगार बनाने का श्रेय काफी हद तक प्रेम सागर को जाता है. उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर यह सुनिश्चित किया कि हर दृश्य और हर पात्र दर्शकों के दिल से जुड़ जाए.
एक युग का अंत
प्रेम सागर सिर्फ एक सिनेमैटोग्राफर नहीं, बल्कि एक सच्चे कलाकार थे. उन्होंने हमेशा लाइमलाइट से दूर रहकर काम किया, लेकिन उनका काम बोलता था. उनके निधन से फिल्म और टीवी जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. साथी कलाकार, फिल्ममेकर और फैंस सभी उन्हें एक शांत, मेहनती और ईमानदार शख्स के तौर पर याद कर रहे हैं.
80 के दशक का भारत. टीवी पर ‘रामायण’ शुरू होती है और पूरा देश ठहर जाता है. सड़कें सूनी, दुकानें बंद, और हर घर में राम-सीता की कहानी. इस जादू के पीछे था प्रेम सागर का कैमरा. राम के वनवास का दर्द, सीता के हरण का गुस्सा या लंका दहन की भव्यता. प्रेम सागर के लेंस ने न सिर्फ कहानी को कैद किया, बल्कि उसे हर भारतीय के दिल तक पहुंचाया. कहते हैं, उस दौर में लोग टीवी को माला चढ़ाकर ‘रामायण’ देखते थे.
प्रेम सागर सिर्फ तकनीक के मास्टर नहीं थे, बल्कि कहानी को जीने वाले इंसान थे. सागर आर्ट्स के बैनर तले उन्होंने अपने पिता रामानंद सागर के साथ ‘श्रीकृष्ण’, ‘जय गंगा मइया’ जैसे धारावाहिकों को भी आकार दिया. लेकिन ‘रामायण’ उनकी आत्मा थी. उन्होंने एक नई ‘रामायण’ की घोषणा की थी.
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पिता की बायोग्राफी, बेटे की जुबानी
प्रेम सागर सिर्फ कैमरे के पीछे के हीरो नहीं थे, बल्कि एक लेखक भी. उनकी किताब ‘एन एपिक लाइफ: रामानंद सागर’ में उन्होंने अपने पिता की जिंदगी को बयां किया. कैसे एक शख्स ने फिल्म इंडस्ट्री के माफियाओं से जूझते हुए टीवी की दुनिया में कदम रखा और ‘रामायण’ जैसी सांस्कृतिक क्रांति रच दी. इस किताब में प्रेम ने अपने पिता के संघर्ष, सपनों और जुनून को इस तरह लिखा कि पाठक को लगे, वो खुद उस दौर में जी रहा हो. ये किताब सिर्फ रामानंद सागर की कहानी नहीं, बल्कि प्रेम सागर के अपने पिता के प्रति प्रेम और सम्मान का दस्तावेज है.
वो सीन जो अमर हो गए
प्रेम सागर का काम सिर्फ शूटिंग तक सीमित नहीं था. उन्होंने हर फ्रेम में जान डाली. याद है वो सीन, जब राम-लक्ष्मण जंगल में चलते हैं और कैमरा उनके कदमों के साथ-साथ चलता है? या वो पल, जब हनुमान लंका जलाते हैं और स्क्रीन पर आग की लपटें दिल में उतर जाती हैं? ये प्रेम सागर की कला थी. उनके कैमरे ने न सिर्फ कहानी दिखाई, बल्कि उसे महसूस कराया. आज भी जब ‘रामायण’ का रीटेलीकास्ट होता है, लाखों लोग स्क्रीन से चिपक जाते हैं.