MP News: प्रीपेड मीटर बकाया भुगतान का बढ़ा विवाद, ऊर्जा विभाग ने जल संसाधन विभाग को 32 करोड़ रुपए का भुगतान कराने के लिए लिखा पत्र
सांकेतिक तस्वीर
MP News: मध्य प्रदेश के भाेपाल में दो बड़े विभाग के अफसर एक दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं. एसीएस ऊर्जा नीरज मंडलोई ने जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा को पत्र लिखा है. एसीएस ऊर्जा ने पत्र में कहा है कि बिजली बिल का भुगतान करना आवश्यक है. प्रीपेड स्मार्ट मीटर के तहत जल संसाधन विभाग को कनेक्शन दिया गया है. बिजली का भुगतान न होने से वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है. यदि जल्द ही भुगतान नहीं किया गया तो प्रीपेड स्मार्ट मीटर से बिजली की सप्लाई रुक सकती है. इसकी वजह से जल संसाधन विभाग के डैम और पानी सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है.
दरअसल, जल संसाधन विभाग के प्रदेश भर में 1260 बिजली कनेक्शन हैं, जिनका जुलाई महीने का 32 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है. ऊर्जा विभाग के एसीएस नीरज मंडलोई ने लिखा कि आरडीएस योजना के तहत 9 हजार करोड़ रुपए की लागत से बिजली अधोसंरचना का कार्य किया जाना है. योजना की शर्तों के अनुसार सरकार बिजली कनेक्शन का बकाया बिल समय पर भुगतान प्रीपेड स्मार्ट मीटर के माध्यम से कराना अनिवार्य है.
राज्य सरकार की ओर से फरवरी 2025 में मीटर रिचार्ज करने के लिए आदेश जारी किया गया था. 32 करोड़ रुपए का बिजली बिल भुगतान नहीं होने की वजह से वित्तीय स्थिति पर असर पड़ रहा है और आरडीएसएस के उद्देश्यों में भी कठिनाई आ रही है. इसलिए एसीएस ऊर्जा ने प्रीपेड मीटर के बिजली बिल का भुगतान कराने के निर्देश दिए. एसीएस ऊर्जा के पत्र के बाद जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा ने ईएनसी को पत्र लिखकर भुगतान करने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं.
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प्रीपेड मीटर की वजह से समय पर हो रहा भुगतान
इस मामले में ऊर्जा विभाग के एसीएस ने पत्र लिखकर भुगतान करने की बात कही है, लेकिन सरकारी विभागों में प्रीपेड मीटर लगने की वजह से समय पर भुगतान हो रहा है. प्रीपेड मीटर के चलते रीचार्ज कराना अनिवार्य है. यदि बिजली बिल रीचार्ज नहीं किया जाता है तो मीटर खुद बंद हो जाता है और बिजली की सप्लाई भी रुक जाती है.
निकायों का 107 करोड़ बकाया
जलसंसाधन विभाग में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाया गया है, वहीं निकायों में पुराने मीटर होने की वजह से 107 करोड़ रुपए का भुगतान अटका हुआ है. कई बार ऊर्जा विभाग ने भुगतान के लिए पत्र लिखा, लेकिन निकायों की ओर से भुगतान नहीं किया गया. इसके कारण ऊर्जा विभाग ने कलेक्टर को भी पत्र भेजकर भुगतान कराने के निर्देश दिए हैं. खास तौर पर मध्य और पूर्व क्षेत्र में निकायों का सबसे ज्यादा बिल बकाया है.
सरकारी विभाग में पीएम सूर्या योजना नहीं हुई लागू
सरकार ने सोलर से बिजली के लिए पीएम सूर्या योजना लागू करने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद प्रदेश के किसी भी सरकारी ऑफिस या निकायों में सोलर पैनल नहीं लगाए गए हैं. जिन ऑफिसों में पैनल लगाए गए थे, उनके पैनल खराब होने की वजह से फिर से बिजली कनेक्शन ले लिया गया है. पीएम सूर्या योजना के तहत सरकारी विभाग और आवासों में सोलर से बिजली की व्यवस्था करने के लिए सरकार ने आदेश जारी किया था.