छठ महापर्व पर पटना ही नहीं, बिहार के इन 5 घाटों पर भी उमड़ता है आस्‍था का सैलाब

Chhath Mahaparva: आप भी बिहार में छठ की असली संस्कृति और ऐतिहासिकता को जानना चाहते हैं, तो बिहार में ऐसे कई प्राचीन घाट हैं, जिनकी अनोखी परंपरा और उनका महत्व पूरे बिहार में मशहूर है.
Chhath Mahaparva

छठ महापर्व

Chhath Mahaparva: छठ का महापर्व इस साल 25 अक्टूबर से लेकर 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इस महापर्व को खास और महत्वपूर्ण बनाते हैं वे घाट, जहां छठ का पर्व मनाया जाता है. ऐसे में बिहार की राजधानी पटना में गंगा घाटों पर इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हजारों लोगों की भीड़ इस घाट को अद्भुत बना देती है. यदि आप भी बिहार में छठ की असली संस्कृति और ऐतिहासिकता को जानना चाहते हैं, तो बिहार में ऐसे कई प्राचीन घाट हैं, जिनकी अनोखी परंपरा और उनका महत्व पूरे बिहार में मशहूर है.

औरंगाबाद स्थित सूर्य मंदिर

छठ पूजा के अवसर पर सूर्य उपासना के इस महापर्व पर श्रद्धालु प्राचीन मंदिरों और पवित्र घाटों पर दिखाई देते हैं. इनमें औरंगाबाद स्थित देव सूर्य मंदिर का विशेष महत्व है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने एक ही रात में किया था. इसकी सबसे खास बात यह है कि मंदिर का मुख पश्चिम दिशा की ओर है, जबकि अधिकांश सूर्य मंदिरों का मुख पूर्व की ओर होता है. छठ के दौरान यहां की श्रद्धा और ऊर्जा का वातावरण अद्भुत होता है, और पास स्थित सूर्यकुंड तालाब में आस्था का सागर उमड़ पड़ता है.

मुंगेर स्थित कष्टहरणी घाट

मुंगेर का कष्टहरणी घाट भी छठ पूजा के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है. गंगा किनारे बसे इस घाट का नाम ही इसकी महत्ता को बताता है. ‘कष्टहरणी’ यानी कष्टों को हरने वाला. पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम ने ताड़का वध के बाद पापों से मुक्ति पाने के लिए यहीं स्नान किया था. तभी से यह विश्वास है कि इस घाट पर स्नान करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं. छठ पर्व पर यहां डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का नजारा अद्वितीय होता है.

हाजीपुर स्थित कोनहारा घाट

हाजीपुर का कोनहारा घाट भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है. यह गंडक और गंगा नदी के संगम पर स्थित है, जिससे यह स्थान पवित्र त्रिवेणी बन जाता है. संगम का यह शांत और निर्मल वातावरण छठ के समय भक्ति और पवित्रता से सराबोर हो उठता है.

गया स्थित फल्गु नदी घाट

गया की फल्गु नदी का तट भी छठ पर्व के दौरान अत्यधिक श्रद्धा का केंद्र बन जाता है. फल्गु नदी भले ही अधिकांश समय सूखी रहती है, लेकिन छठ के अवसर पर श्रद्धालु यहां अस्थायी जलकुंडों और पवित्र तालाबों में पूजा-अर्चना करते हैं.

ये भी पढ़ें- Govardhan Puja Samagri List 2025: गोवर्धन पूजा के लिए इन सामग्री की पड़ेगी जरूरत, नोट कर लें पूरी लिस्ट

भागलपुर स्थित बरारी घाट

भागलपुर का बरारी घाट भी इस पर्व का प्रमुख केंद्र है. यह घाट न केवल अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी पक्की सीढ़ियां हजारों श्रद्धालुओं को एक साथ सूर्य को अर्घ्य देने की सुविधा प्रदान करती हैं. छठ के दिनों में यहां भागलपुर के साथ-साथ बांका और मुंगेर जैसे आसपास के जिलों से भी भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, जिससे यह स्थल पूरे क्षेत्र में आस्था और एकता का प्रतीक बन जाता है.

ज़रूर पढ़ें