खुद के बेटे को सियासत से दूर रखने वाले नीतीश कुमार की कैबिनेट में ‘परिवारवाद’ का बोलबाला
दीपक प्रकाश मां और पिता के साथ (फाइल फोटो)
Bihar Cabinet: बिहार में NDA को प्रचंड जीत मिलने के बाद नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया. नीतीश कुमार ने 10वीं बार सीएम बनकर इतिहास रच दिया. आज पटना के गांधी मैदान में नीतीश कुमार के साथ 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. नई सरकार के मंत्रिमंडल में में सभी वर्गों पर पूरा ध्यान रखा गया. एक ओर जहां जाति फैक्टर पर एनडीए का फोकस रहा तो वहीं प्रमुख घटक दलों में परिवारवाद भी देखने को मिला.
एनडीए हमेशा से विपक्षी पार्टियों पर परिवारवाद को लेकर हमलावर रहती है. वहीं, बिहार में नई सरकार के मंत्रिमंडल में परिवारवाद का अच्छा उदाहरण देखने को मिला है. पीएम मोदी ने खुद ही बिहार में परिवारवाद का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि राजनीति में परिवारवाद की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. लेकिन एनडीए सरकार से शपथ ग्रहण समारोह से यह पूरी तरह से साफ हो गया कि राजनीति में परिवारवाद सिर्फ और सिर्फ एक चुनावी जुमला ही है.
NDA के 29 विधायकों का पारिवारिक बैकग्राउंड
बिहार में 243 सीटों में से 202 सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की है. इनमें से 29 ऐसे विधायक हैं, जो राजनीतिक बैकग्राउंड से आते हैं. उनकी पृष्ठभूमि ही परिवारवाद की राजनीति है. इनमें 11-11 विधायक BJP और जेडीयू के शामिल हैं. इसके अलावा अन्य सहयोगी दलों के 7 विधायक शामिल हैं.
पत्नी को विधायक, बेटे को बनाया मंत्री
एनडीए में सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का है. जिन्होंने अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को विधानसभा का टिकट देकर विधायक बनाया और आज बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री पद दिला दिया. हालांकि बेटा अभी विधायक नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि MLC के जरिए सदस्यता दिलाई जा सकती है. इसके अलावा नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके संतोष सिंह के भाई आलोक कुमार सिंह को भी टिकट देकर विधायक बनाया गया.
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भाजपा में भी परिवारवाद
भाजपा नेता नितिन नबीन बांकीपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं, जो आज नीतीश सरकार में मंत्री बने हैं. नितिन के पिता पुराने भाजपा नेता हैं. इसके अलावा भाजपा की ही श्रेयसी सिंह, जिसे मंत्री बनाया गया है. श्रेयसी पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी है. यानी भाजपा में भी परिवारवाद साफ झलक रहा है. इसके अलावा सम्राट चौधरी, रमा निषाद और नीतीश मिश्रा भी परिवारवाद की राजनीति से ही आए हैं.
HAM परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण
जेडीयू की बात करें तो सीएम नीतीश कुमार पर परिवारवाद से साए से अपने आप को काफी दूर रखे हैं. लेकिन उनकी पार्टी के नेता परिवारवाद को काफी आगे बढ़ा रहे हैं. जेडीयू से अनंत सिंह, ऋतुराज कुमार और चेतन आनंद इसके उदाहरण हैं. इसके अलावा एनडीए के घटक दल HAM ने तो पूरे टिकट सिर्फ अपने रिश्तेदारों को ही दे डाली. सभी सीटों पर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के ही परिवार के लोग चुनाव लड़े. इसमें माझी की बहू, समधन और दामाद सभी विधायक बन गए.
परिवारवाद से कौन-कौन बने हैं मंत्री
परिवारवाद की राजनीतिक पृष्ठभूमि से 5 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की है. जिसमें राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) से दीपक प्रकाश, बीजेपी से नितिन नबीन, श्रेयसी सिंह और रमा निषाद और HAM पार्टी से जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन शामिल हैं.