अरावली केस पर SC ने ‘100 मीटर वाली परिभाषा’ के अपने ही फैसले पर लगाई रोक, 4 राज्यों को नोटिस
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को वापस ले लिया है.
Aravalli Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अरावली पहाड़ियों और अरावली रेंज पर दिए गए अपने ही फैसले पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले पर अपने आप संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और चार अरावली राज्यों- राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने अरावली मामले में जांच किए जाने वाले मुद्दों की जांच के लिए एक नई एक्सपर्ट कमेटी बनाने का भी आदेश दिया है. सेंट्रल पर्यावरण मंत्रालय की परिभाषा वाले फैसले (जो 20 नवंबर को जारी किया गया था) को “स्थगित” कर दिया है. यह देखते हुए कि पिछला पैनल मुख्य रूप से नौकरशाहों से बना था. अरावली भारत की सबसे पुरानी मोड़दार पर्वत श्रृंखला है, जो करीब 20 अरब साल पुरानी है.
Aravalli Definition Suo Moto Case: The Supreme Court has “put in abeyance” its earlier decision (issued on November 20) to accept the Central Environment Ministry’s definition of Aravalli Hills and Aravalli Range.
— ANI (@ANI) December 29, 2025
Acceptance of the said definition by the top court in November… pic.twitter.com/JfDTRPle8J
21 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण और उसकी परिभाषा को लेकर गहरी चिंता जताई है. SC ने साफ कहा कि मौजूदा परिभाषा से अरावली के संरक्षण का दायरा सीमित हो सकता है. कोर्ट ने पूरे मामले की निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच के लिए हाई पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का प्रस्ताव रखा गया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी.
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4 राज्यों तक फैली है पर्वत श्रृंखला
अरावली मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट की कुछ परिणामी टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जिस पर सफाई जरूरी है. उन्होंने कहा कि अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा, 500 मीटर से ज्यादा दूरी की स्थिति, माइनिंग पर रोक या अनुमति और उसके दायरे को लेकर गंभीर मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है. बता दें, अरावली 670 किलोमीटर लंबी पर्वत श्रृंखला है, जो दिल्ली के पास से शुरू होकर हरियाणा, राजस्थान और गुजरात से तक जाती है.