MP News: 6 साल तक भ्रष्टाचार की जांच करने के बाद एनके गुप्ता हुए कार्य मुक्त, एमपी में नए लोकायुक्त बने रिटायर्ड जज सत्येंद्र कुमार सिंह
भोपाल: मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के नए अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह को सरकार ने नियुक्त किया है. राज भवन की सहमति के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है. मध्य प्रदेश में लंबे समय तक सतेंद्र कुमार सिंह हाई कोर्ट में सदस्य रहे हैं. अब सरकार ने उन्हें मध्य प्रदेश लोकायुक्त के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप है. मध्य प्रदेश में पिछले 6 साल से एनके गुप्ता मध्य प्रदेश के लोकायुक्त के पद पर पदस्थ रहे. अक्टूबर साल 2023 में उनका कार्यकाल खत्म हो गया था लेकिन आचार संहिता लागू होने की वजह से नए लोकायुक्त की तलाश सरकार नहीं कर पाई. लिहाजा राज भवन की सहमति के बाद सत्येंद्र कुमार सिंह को नया लोकायुक्त घोषित कर दिया है. सत्येंद्र कुमार सिंह मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट में जज के तौर पर पदस्थ रहे हैं. अक्टूबर साल 2017 में तत्कालीन सरकार ने मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की जिम्मेदारी नरेश कुमार गुप्ता को दी थी.
मध्य प्रदेश के नए लोकायुक्त सत्येंद्र कुमार सिंह इंदौर हाई कोर्ट में सदस्य थे. 2 साल पहले ही इंदौर हाई कोर्ट में उनकी नियुक्ति की गई थी. सत्येंद्र कुमार सिंह इंदौर के बाद ग्वालियर हाईकोर्ट में भी पदस्थ रहे हैं साल 2023 में अक्टूबर महीने में रिटायर होने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी नियुक्ति हो जाएगी लेकिन तत्कालीन सरकार ने आचार संहिता लागू होने के बाद नए लोकायुक्त पर विचार नहीं किया. नरेश कुमार गुप्ता ही 5 महीने तक लोकायुक्त के अध्यक्ष के पद पर काबिज रहे. लिहाजा सरकार को गुप्ता के अलावा दूसरे जज की तलाश हो गई है. इसलिए सत्येंद्र कुमार सिंह को नए लोकायुक्त की जिम्मेदारी सौंप गई है.
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सीनियर आईपीएस के मामले में चर्चा में आए लोकायुक्त गुप्ता
लोकायुक्त के अध्यक्ष पर काबीज रहे गुप्ता पिछले तीन-चार महीने से सुर्खियों में रहे. उसका कारण है कि लोकायुक्त पुलिस महा निर्देशक के तौर पर पदस्थ कैलाश मकवाना के मामले में उन्होंने गोपनील चरित्रावली में 10 में से मात्र 6 नंबर दिए थे। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने मकवाना का ट्रांसफर करते हुए पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन का अध्यक्ष बनाया था. मकवाना पर आरोप थे कि उन्होंने सोर्स मनी का गलत इस्तेमाल किया और इसी बात से नाराज होकर उन्हें कम अंक दिए गए. हालांकि लोकायुक्त ने छ नंबर दिए थे तत्कालीन सरकार ने एक नंबर बढ़ाते हुए उन्हें 7 नंबर दे दिया था लेकिन गुप्ता ने जो उनकी गोपनीय चरित्रावाली में तर्क दिए. इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी अंक नहीं बढ़ाए.