MP News: एमपी में कांग्रेस नेताओं ने छोड़ी पार्टी, फिर भी हाईकमान ने पद से नहीं किया मुक्त… दीपक सक्सेना और राजूखेड़ी अब भी प्रदेश उपाध्यक्ष
MP News: मध्य प्रदेश में भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं ने भले ही कांग्रेस को छोड़ दिया है. मगर पार्टी ने अभी भी उन्हें बाहर का रास्ता नहीं दिखाया है. कमलनाथ के करीबी और पूर्व विधायक दीपक सक्सेना और पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी अभी भी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं, जबकि दोनों ही नेता कांग्रेस पार्टी छोड़ चुके हैं.
दरअसल, कांग्रेस ने 50 उपाध्यक्ष बनाए थे. जिसमें दीपक सक्सेना और पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को भी शामिल किया था लेकिन यह दोनों नेता कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें उपाध्यक्ष की सूची से बाहर नहीं निकाला है. इसके अलावा उज्जैन से महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष नूरी खान भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे चुकी है, फिर भी नूरी उपाध्यक्ष की सूची में शामिल हैं. खास बात है कि जिन नेताओं की मौत हो चुकी है, वह भी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष बने हुए हैं. संजीव मोहन गुप्त और खरगोन के पूर्व सांसद ताराचंद पटेल का नाम भी सूची में है. साल 2023 में ताराचंद पटेल की हार्टअटैक से मौत हो चुकी है. इसके अलावा महामंत्री रहे कमलापत आर्य भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्हें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने साल 2024 में जनवरी में सदस्यता दिलाई थी. इसके बाद भी आर्य कांग्रेस के महामंत्री की सूची में शामिल हैं.
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5 महीने कांग्रेस छोड़ चुकी हैं दीवान
कांग्रेस में पदाधिकारियों की सूची में पूर्व विधायक रही सविता दीवान भी हैं, जो 5 महीने पहले कांग्रेस छोड़ चुकी है. फिर भी कांग्रेस की महासचिव की सूची में शामिल हैं. साल 2023 में अक्टूबर में सविता दीवान को नरेंद्र सिंह तोमर ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी. इसके बाद भी दीवान कांग्रेस की महासचिव की सूची में शामिल है.
बागी चौधरी भी कांग्रेस में महासचिव
साल 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान शेखर चौधरी कांग्रेस में शामिल हुए थे. कमलनाथ ने उन्हें महासचिव बनाया और विधानसभा चुनाव में टिकट देने का भरोसा दिलाया. कमलनाथ ने हाईकमान को लूप में रखते हुए चौधरी को गोटेगांव विधानसभा सीट से टिकट दिलाया. 4-5 दिन बाद ही चौधरी का टिकट कट गया. कांग्रेस ने ही एनपी प्रजापति को टिकट दिया गया. इसके बाद शेखर नाराज होकर बागी हो गए और चुनाव मैदान में उतर गए. हालांकि कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई और अनुशासनहीनता के चलते पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया. फिर भी चौधरी कांग्रेस के महासचिव जरूर बने हुए हैं.