MP News: अगले पांच साल में प्रदेश में 34300 मेगावॉट होगी बिजली, डिमांड से 50 फीसदी ज्यादा और सब्सिडी के लिए सरकार को चाहिए 15 हजार करोड़
MP News: प्रदेश में बिजली की उत्पादन क्षमता अगले पांच साल में डिमांड से दोगुनी हो जाएगी. मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी ने यह लक्ष्य रखा है. कंपनी का 2028- 29 तक प्रदेश में 34300 मेगावॉट बिजली उत्पादन का टारगेट है. इसकी जानकारी कंपनी ने मप्र विद्युत विनियामक आयोग को उपलब्ध कराई है.
प्रदेश में अभी 22730 मेगावॉट बिजली की उत्पादन क्षमता है. यह बिजली भी प्रदेश की डिमांड से ज्यादा है. प्रदेश में बिजली की औसत डिमांड 12 हजार से 13 हजार मेगावॉट है. गर्मी के दिन में यह डिमांड 15 हजार मेगावॉट तक पहुंच पाती है. प्रदेश के किसान जब रबी की फसल लगाते हैं, तब अक्टूबर से नंवबर तक खेतों में सिचाई के लिए बिजली की डिमांड बढ़ जाती है. तब भी प्रदेश में बिजली की औसत डिमांड 15 से 16 हजार मेगावॉट ही रहती है. प्रदेश में 13 जनवरी 2023 को
ऐसे बढ़ेगी प्रदेश की बिजली उत्पादन क्षमता बिजली की डिमांड 17170 मेगावाट तक पहुंच गई थी. इसके बाद 22 दिसंबर 2023 को बिजली की डिमांड 17714 मेगावॉट तक पहुंची थी. यह अब तक की सबसे अधिक डिमांड है. इधर, पॉवर जनरेशन कंपनी के पास 22730 मेगावॉट बिजली उपलब्ध है.
दूसरे राज्यों को सस्ते में बेची जाती है बिजली
बिजली की अधिक उपलब्धता होने की वजह से प्रदेश की पॉवर जनरेशन कंपनी दूसरे राज्यों के औद्योगों को सस्ती दरों में बिजली बेच देती है. दूसरे राज्यों के औद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बेची जाती है. पिछले तीन से चार महीने में पॉवर जनरेशन कंपनी ने करीब 400 करोड़ रुपए की 84 करोड़ यूनिट बिजली बेची है. यह बिजली लगभग 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेची जाती है. इससे महंगी बिजली प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मिलती है.
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अगले पांच साल में थर्मल और सोलर एनर्जी बढ़ेगी
प्रदेश में सोलर एनर्जी को बढ़ाने का टारगेट है. सोलर एनर्जी बढ़ जाने से बिजली कंपनियों का बिजली उत्पादन पर होने वाला खर्च कम हो जाएगा. अभी प्रदेश कोयले से बनने वाली बिजली पर निर्भर है, जो महंगी पड़ती है. सोलर एनर्जी कोयले से बनने वाली बिजली से सस्ती पड़ेगी. इससे प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को भी बिजली बिलों से राहत मिल सकती है. इसके साथ ही थर्मल एनर्जी भी बढ़ेगी. अभी प्रदेश में थर्मल एनर्जी की उपलब्धता 4570 मेगावॉट है. यह साल 2028-29 तक 5890 मेगॉवाट हो जाएगी. वहीं अभी प्रदेश में सोलर एनर्जी करीब 6 हजार मेगावॉट है. यह अगले पांच साल में 12638 मेगावॉट हो जाएगी. सोलर एनर्जी की उपलब्धता दोगुने से ज्यादा हो जाएगी.
सब्सिडी की राशि सरकार के लिए चुनौती
मध्य प्रदेश में सरकार गरीब आदिवासी दलित और किसानों को बिजली की सब्सिडी देती है. यानी कि बिजली कंपनियों को सरकार भुगतान करती है. सालाना मध्य प्रदेश विद्युत कंपनियों को सरकार की तरफ से 15000 करोड रुपए से भी अधिक की राशि देनी होती है. ऐसे में बिजली की खपत बढ़ी और जनता पर कोई बोझ ना आए. फिर सरकार को और भी ज्यादा सब्सिडी बिजली कंपनियों को देनी पड़ेगी.