“वह पार्टी की ओर से बोलने के लिए अधिकृत नहीं…”, किसानों के विरोध पर Kangana Ranaut के बयान से BJP ने बनाई दूरी

कंगना ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के दौरान "लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे".
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कंगना रनौत (बीजेपी उम्मीदवार)

भारतीय जनता पार्टी ने सांसद कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के उस बयान से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सरकार ने सख्त कदम नहीं उठाए होते तो किसानों के विरोध प्रदर्शन से बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा हो सकती थी. पार्टी ने अभिनेत्री से नेता बनीं कंगना रनौत से भविष्य में ऐसे बयान देने से बचने को भी कहा है. भाजपा ने एक नोटिस भी जारी किया जिसमें कहा गया कि अभिनेत्री कंगना रनौत को पार्टी के नीतिगत मामलों पर बोलने की न तो अनुमति है और न ही उन्हें ऐसा करने का अधिकार है. भाजपा ने कंगना को भविष्य में इस तरह के बयान देने से परहेज करने का निर्देश दिया है. पार्टी ने “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” और सामाजिक सद्भाव के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई.

कंगना ने क्या कहा था?

बता दें कि कंगना ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के दौरान “लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे”. भाजपा ने एक बयान में कहा, “किसान आंदोलन के संदर्भ में भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिया गया बयान पार्टी की राय नहीं है. भारतीय जनता पार्टी कंगना रनौत द्वारा दिए गए बयान से अपनी असहमति व्यक्त करती है.”

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कांग्रेस ने किया विरोध

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रनौत की टिप्पणी का कड़ा विरोध किया. सुप्रिया ने सवाल किया, “अगर मोदी सरकार मानती है कि विदेशी ताकतें हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं, तो इसे दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?” उन्होंने किसानों के खिलाफ “अपमानजनक भाषा” का इस्तेमाल करने के लिए भाजपा नेताओं की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर किसानों को “हत्यारे” और “बलात्कारी” कहा था. सुप्रिया ने आगे कहा, “हमें शायद जवाब देने की ज़रूरत न पड़े, क्योंकि हरियाणा जल्द ही जवाब देगा. हालांकि, चूंकि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए हैं, इसलिए भाजपा और सरकार को जवाब देना चाहिए. अगर ये आरोप झूठे हैं, तो सांसद को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए.”

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