MP News: छिंदवाड़ा के गोटमार मेले की कहानी, पुलिस के सामने पांढुर्ना-सावरगांव के लोग एक-दूसरे पर जमकर बरसाते हैं पत्थर

MP News: छिंदवाड़ा के जिला प्रशासन द्वारा पांढुर्ना में धारा 144 लागू की गई है, जिसके चलते हथियारों के प्रदर्शन पर रोक भी लगाई गई है.
Gotmar fair is being organized in Chhindwara.

छिंदवाड़ा में गोटमार मेला का आयोजन हो रहा है.

MP News: छिंदवाड़ा में आज गोटमार मेला का आयोजन होगा. यह मेला पूरे विश्व का सबसे अनोखा मेला है. वहां के लोगों की ये वर्षों पुरानी मान्यता है. जिसमें आज के दिन हजारों लोग इस मेले में शामिल होकर एक दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाते हैं. वहीं इस मेले में प्रमुख रुप से पांढुर्ना-सावरगांव के दोनों पक्ष के लोग एक दूसरे जमकर पत्थर बरसाएंगे. इस मेले में हर वर्ष खून की नदियां तक बह जाती हैं, लोग घायल होते हैं. लेकिन फिर भी इस खेल को लगातार खेला जा रहा है और लोग इस मेले का आयोजन वर्षों से ही करते आ रहे हैं.

हैरानी की बात तो ये है कि इस खून भरे खेल का आयोजन पुलिस प्रशासन की आंखों के सामने किया जायेगा. वहीं पुलिस प्रशासन की पूरी टीम मौके पर तैनात भी रहेगी जिसमें कलेक्टर और एसपी भी शामिल रहेंगे. ये सभी अधिकारी मेले में दूर से ही मेला की जगह पर नजर रखेंगे. मेले में पुलिस की पूरी फौज को लोगों की सुरक्षा और मेले को शांति से सम्पन्न किया जा सके इसलिए शहर के हर इलाके में पुलिस को तैनात किया गया है.

लागू की गई धारा 144

वहीं छिंदवाड़ा के जिला प्रशासन द्वारा पांढुर्ना में धारा 144 लागू की गई है, जिसके चलते हथियारों के प्रदर्शन पर रोक भी लगाई गई है. वहीं जहां मेला आयोजित किया जायेगा वहां पर दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, दस थाना प्रभारी, सात एसडीओपी, 50 एएसआई, 30 एसआई इसके साथ ही लगभग 500 होमगार्ड, एसएफ, वन विभाग जिला पुलिस फौज के जवान तैनात किए गए है.

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जानें क्या मान्यता है गोटमार मेले की मान्यता

इस मेले की कहानी एक लड़का और लड़की के प्रेम कहानी से जुड़ी है. इसपर अलग अलग लोगों के अलग अलग विचार है. इस मेले की शुरुआत से ही मान्यता है कि यह दो गांवों की दुश्मनी और प्रेम करने वाले जोड़े की याद में शुरू किया गया था. जहां सावरगांव की लड़की थी और लड़का पांढुर्णा का था, जो एक-दूसरे से प्रेम करते थे. एक दिन लड़का-लड़की को लेकर भाग रहा था और दोनों ही जाम नदी को जैसे ही पार कर रहे थे, तभी उस समय लड़की के परिवार वालों ने देख लिया वहीं उन पर पर पत्थरों से हमला करने लगे. जिसके चलते दोनों की बीच नदी में ही मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से ही ऐसी मान्यता है कि लोग प्रायश्चित के रूप में एक दूसरे पर पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं.

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