कुछ यूं लिखी गई छत्तीसगढ़ निकाय चुनाव में BJP की जीत की पटकथा, जानिए कैसे फ्लॉप हो गया कांग्रेस का पूरा ‘प्लान’, इनसाइड स्टोरी

बीजेपी ने अपने ‘किसान हित’ और ‘महिला शक्ति’ के कार्ड से कांग्रेस के दावों को ध्वस्त कर दिया. जैसे कि कोई सुपरहीरो अपने दुश्मन को नॉकआउट करता है, वैसे ही भाजपा ने चुनावी रणनीति से कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया.

CG Nikay Chunav Results 2025: अगर आप छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव 2025 को एक थ्रिलर फिल्म की तरह देखें, तो कांग्रेस की हार एक बेहतरीन क्लाइमेक्स की तरह सामने आई है. कांग्रेस को लगा था कि जनता एक बार फिर से पार्टी पर भरोसा जताएगी, लेकिन जब स्क्रीन पर चुनाव परिणाम आने लगे, तो कांग्रेस के चेहरे पर एक निराशा की लकीर साफ दिखाई दी. आइए जानते हैं, क्या हुआ जो कांग्रेस का पूरा ‘प्लान’ फ्लॉप हो गया, और कैसे भाजपा ‘स्लो और सटीक’ स्ट्राइक से किंग बनकर सामने आई है?

रायपुर में BJP की धमाकेदार वापसी

छत्तीसगढ़ का दिल कहे जाने वाले रायपुर में कांग्रेस की ‘बॉस’ दीप्ति दुबे ने सोचा होगा कि 15 साल से सत्ता में होने के बाद जीत तो पक्की है. लेकिन उनके लिए राह आसान नहीं रहा. रायपुर में बीजेपी ने दीप्ति को एक जोरदार टक्कर दी. बीजेपी ने इस सीट पर मीनल चौबे के जरिए कब्जा करके रायपुर के जनमानस को एक नई पहचान दी. मेयर चुनाव में कांग्रेस का वर्चस्व उड़नछू हो गया है.

छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव 2025 के परिणाम अब तक काफी दिलचस्प रहे हैं. रायपुर के अलावा, जगदलपुर में भी भाजपा के संजय पांडे ने कांग्रेस के मलकीत सिंह गैदू को हराया. राजनांदगांव में भाजपा के मधुसूदन यादव ने कांग्रेस के निखिल द्विवेदी को शिकस्त दी. इसी तरह रायगढ़, धमतरी, और कोरबा जैसे अहम नगर निगमों में भाजपा ने कड़ी टक्कर देते हुए अपनी स्थिति मजबूत की.

हालांकि, कुछ स्थानों पर अभी भी काउंटिंग चल रही है और परिणाम पूरी तरह से घोषित नहीं हुए हैं. कुनकुरी नगर पंचायत में कांग्रेस ने बढ़त बनाते हुए भाजपा को पीछे छोड़ा, लेकिन अन्य क्षेत्रों में जैसे बिलासपुर, दुर्ग, और कुछ छोटे नगर निगमों में काउंटिंग के बाद स्थिति साफ होने की उम्मीद है.

व्यक्तिगत राजनीति पर फोकस कर रही थी कांग्रेस

कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी यही रही कि पार्टी कहीं न कहीं ‘पार्टीलाइन’ के बजाय अधिकतर परिवार और व्यक्तिगत राजनीति पर फोकस कर रही थी. रायपुर में बीजेपी ने युवा जनसमूह और वर्किंग क्लास को अपने खेमे में खींच लिया. तो वहीं कांग्रेस, पुराने चेहरों और कहानियों में उलझ कर रह गई. जो नतीजा दिखा, वो सबने देखा.

वहीं, जगदलपुर और राजनांदगांव में बीजेपी ने कांग्रेस की घेराबंदी कर दी. किसी को अंदाजा नहीं था कि बीजेपी इन क्षेत्रों में इतना जोरदार खेल खेलेगी. राजनांदगांव, जहां कांग्रेस हमेशा मजबूत रही, वहां बीजेपी ने कमल खिलाकर सबको हैरान कर दिया. इतना ही नहीं, जगदलपुर में भी बीजेपी का खेल देखने लायक था.

कुनकुरी – कांग्रेस की एक छोटी सी जीत

जब आप ‘चमत्कारी जीत’ के बारे में सोचते हो, तो कुनकुरी नाम सुनाई देता है. लेकिन ये भी एक राहत की बात थी, क्योंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के घर के पास ये जीत कांग्रेस के लिए कोई बड़ा मैजिक नहीं बना पाया. यहां से कांग्रेस ने विनय शील को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्होंने भाजपा के सुतबल यादव को हरा दिया है. अब विनय शील नगर पंचायत अध्यक्ष के नए अध्यक्ष होंगे. जशपुर जिले की कुनकुरी नगर पंचायत से कांग्रेस के विनय सिंह ने 77 वोटों से जीते दर्ज की है. बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों ने यहां जमकर चुनाव प्रचार किया था. हालांकि यहां से कांग्रेस ने बाजी मारकर सभी को चौंका दिया है.

छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक नाकामियों की बातों ने कांग्रेस के चेहरों पर एक धुंधलापन डाल दिया. लोगों में ये गुस्सा था कि जो वादे किए गए थे, वे कहां गए? BJP ने ‘विकास की हवा’ से कांग्रेस के अस्तित्व को ही चुनौती दे दी.

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कांग्रेस की ‘वोट मिलेंगे’ रणनीति!

कांग्रेस ने कहीं न कहीं चुनावों में अपनी रणनीति को सही ढंग से नहीं ढाला. बीजेपी ने छोटे, स्थानीय मुद्दों को पहचानते हुए राजनीति में जितनी हवा चलनी थी, उतनी पकड़ बना ली. कांग्रेस ने कहीं न कहीं अपने विरोधियों को नजरअंदाज किया, जबकि बीजेपी ने अपनी एक-एक गोटी सटीक ढंग से खेली. ऐसा लग रहा था जैसे कांग्रेस को खेल के हर नियम को समझने में समय लग रहा था, जबकि भाजपा में एक मस्त ‘कमबैक किंग’ की तरह हर कदम सटीक था.

पार्टी ने प्रचार में ढिलाई दिखाई. बीजेपी ने सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक अच्छा काम किया, जबकि कांग्रेस की लीडर्स पूरी तरह से मैदान में नज़र नहीं आए. युवाओं को टारगेट करने की कोई ठोस रणनीति नहीं दिखी, और ना ही संगठन ने उनकी बातों को सही से प्रचारित किया. बीजेपी ने ‘we all’ वाली रणनीति से वर्कर्स को ट्रेंड किया, जबकि कांग्रेस कभी सोशल मीडिया और कभी सड़क से ठीक से नहीं जुड़ पाई.

भ्रष्टाचार के आरोप और कांग्रेस की चुप्पी!

कांग्रेस पर कुछ जगहों पर प्रशासनिक नाकामियों और भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे, जिससे लोगों में एक नकारात्मक रुख पैदा हुआ. और बीजेपी ने इसे और ज़्यादा बढ़ावा दिया. यही वजह बनी कांग्रेस के खिलाफ गुस्से की, जिसने उसे हर मोर्चे पर पिछड़ने के लिए मजबूर कर दिया.

बीजेपी ने अपने ‘किसान हित’ और ‘महिला शक्ति’ के कार्ड से कांग्रेस के दावों को ध्वस्त कर दिया. जैसे कि कोई सुपरहीरो अपने दुश्मन को नॉकआउट करता है, वैसे ही भाजपा ने चुनावी रणनीति से कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया.

कांग्रेस के लिए ये चुनाव एक शॉक जैसा रहा. यह शॉक साबित करता है कि अगर नेतृत्व मजबूत नहीं होगा, तो जनता अपनी नज़रें बदल देती है. कांग्रेस को अब अपनी रणनीति में बदलाव लाने की आवश्यकता है, साथ ही भाजपा से कड़ी टक्कर देने के लिए अपने पुराने दिनों की ‘तेज धार’ वापस लानी होगी. अब सिर्फ एक सवाल रह गया है – क्या कांग्रेस अपनी गिरती पोजीशन को फिर से संभाल पाएगी या पार्टी इस फिल्म में विलेन की तरह आउट हो जाएगी?

बीजेपी की ग्राउंड जीरो पर तैयारी

छत्तीसगढ़ निकाय चुनाव 2025 में बीजेपी ने अपनी तैयारी को एक दम सटीक और दमदार तरीके से किया, जैसे कोई चतुर खिलाड़ी जो मैच से पहले पूरी योजना बना चुका हो. बीजेपी ने चुनाव से पहले ही हर पहलू पर गौर कर लिया था.

संगठन का किला मजबूत किया: बीजेपी ने पहले अपने संगठन को रेजीमेंटेड किया. पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हुए. छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं को समझाया गया कि इस बार ‘लक्ष्य प्राप्ति’ के लिए एकजुट रहना है. टीमवर्क की तरह, चुनावी मैदान में सबकी अपनी-अपनी भूमिका थी!

उम्मीदवारों का जादू: चुनावी मैदान में उतरने के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों को बिलकुल सही जगह पर उतारा. हर किसी को समझाया गया कि इस इलाके की जनता के साथ बेहतर तालमेल बिठाने के लिए उन्हें क्या करना होगा. यह जैसे किसी क्रिकेट टीम का कप्तान हो, जो पिच के हिसाब से अपने खिलाड़ी का चुनाव करता है.

जनसंपर्क और प्रचार: नुक्कड़-नुक्कड़, गली-गली, और सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी ने जनता से मिलकर उनकी परेशानियों का हल बताने की कोशिश की. रोड शो और रैलियों का ऐसा माहौल था, जैसे किसी फिल्म का प्रमोशन हो रहा हो, जहां हर कार्यकर्ता और नेता खुद को प्रचारक के रूप में पेश कर रहा था. सोशल मीडिया के जादू से युवा वोटर्स भी बीजेपी के साथ जुड़ने लगे.

स्थानीय मुद्दों पर गहरी पकड़: बीजेपी ने इस बार सिर्फ बड़े-बड़े वादे नहीं किए, बल्कि लोगों के दिलों में जो मुद्दे थे, उन पर सीधा हमला किया. “बिजली, पानी, सड़कें” – ये वही बातें थीं, जो छत्तीसगढ़ की जनता की सबसे बड़ी चिंता बन चुकी थीं. बीजेपी ने इन मुद्दों को इतने असरदार तरीके से उठाया कि कोई भी इनसे मुंह नहीं मोड़ सकता था.

विपक्ष के खिलाफ वार: और फिर, विपक्ष यानी कांग्रेस पर बीजेपी का वार! “विकास की बातें, पर काम कहां?” इस तरह के सवाल बीजेपी ने उठाए, ताकि कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो. यह ऐसा था जैसे कोई शेर अपनी दहाड़ से सभी को डराने का प्रयास कर रहा हो. यानी बीजेपी चुनावी मैदान में उतरने से पहले पूरी तैयारी की थी और ऐसा लग रहा था जैसे यह पूरी प्रक्रिया एक अच्छे क्रिकेट मैच की तरह हो – रणनीति, खिलाड़ी, और मैदान सब कुछ शानदार तरीके से तैयार!

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