बिहार में महाबली बनकर उभरे पीएम मोदी के ‘हनुमान’ Chirag Paswan, चाचा पशुपति कुमार पारस का कटा पत्ता

हाजीपुर सीट स्वर्गीय रामविलास पासवान की सीट थी, जिसे उन्होंने अपने भाई पशुपति पारस को दे दी थी. मगर रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा और भतीजे के संबंधों में दरार आ गई.
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चिराग पासवान, पशुपति पारस

Bihar Politics: जब 13 मार्च को चिराग पासवान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के साथ तस्वीर शेयर की तो यह स्पष्ट हो गया था कि दिवंगत राम विलास पासवान के बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख ने विपक्षी गठबंधन के साथ नहीं जाने का फैसला किया है. चिराग को इसका फायदा भी हुआ. अब उन्हें बिहार में 5 सीटें मिल गई हैं. इसके साथ ही एनडीए (NDA) में सीटों का बंटवारा भी लगभग पूरा हो गया है. सोमवार को बिहार की 40 सीटों पर गठबंधन की घोषणा हो गई है. जेडीयू 16 सीटों पर, बीजेपी 17 सीटों पर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास ) 5 सीटों पर और मांझी की पार्टी हम 1 सीट पर चुनाव लड़ेगी. वहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 1 सीट दी गई है.

बीजेपी ने दी चिराग गुट को मान्यता

बीजेपी ने एनडीए में लोजपा के एक ही गुट को मान्यता दी है. चिराग पासवान की नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) को गठबंधन के तहत 5 सीटें दी गयी है. वहीं पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गयी है. दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) 3 साल पहले टूट गई थी. उस वक्त LJP के पांच सांसदों- पशुपति कुमार पारस (चिराग के चाचा), चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज (चिराग के चचेरे भाई) ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया था.

अब चिराग ने बीजेपी की परीक्षा पास कर ली है. चिराग बिहार में पीएम मोदी के हनुमान बनकर उभरे हैं. अब बिहार में अब भाजपा के 4 सहयोगी दल हैं- जेडीयू, एलजेपी-आर, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक मोर्चा.  इससे पहले कहा जा रहा था कि पशुपति पारस को गठबंधन के तहत भाजपा राज्यपाल का ऑफर दे सकती है, लेकिन पशुपति ने खुद ही निराधार बयानबाजी करके अपनी राहें मुश्किल कर लीं. पशुपति पारस ने कहा था कि अगर एनडीए में चिराग को ज्यादा तरजीह दी गई तो उनके लिए विकल्प खुले हैं. वो अपना रुख कहीं और का कर सकते हैं. अब बीजेपी ने चिराग के गुट को मान्यता दे दी है.

हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे चिराग पासवान

चिराग पासवान ने कहा, “मैं बीजेपी को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारी पार्टी का सम्मान किया और हमें उचित स्थान दिया. हमको गठबंधन में उचित स्थान मिला है. मैं नीतीश कुमार को भी धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने भी गठबंधन धर्म निभाया है. मैं हाजीपुर से चुनाव लडूंगा. हमने भी गठबंधन में अपनी एक सीट छोड़ी है. कहीं न कहीं सभी को गठबंधन में कुछ ना कुछ बलिदान देना पड़ता है. मैं हर चुनौती के लिए तैयार हूं. मेरे सामने कोई भी चुनौती आती है तो उसका शक्ति से सामना करूंगा.”

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हाजीपुर सीट चिराग के लिए ‘नाक’ का सवाल

हाजीपुर सीट स्वर्गीय रामविलास पासवान की सीट थी, जिसे उन्होंने अपने भाई पशुपति पारस को दे दी थी. मगर रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा और भतीजे के संबंधों में दरार आ गई. दरार का नतीजा यह हुआ था कि लोक जनशक्ति पार्टी दो भागों में बट गई. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बनाकर चाचा पशुपति पारस पांच सांसदों के साथ अलग हो गए. अकेले बचे चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की कमान संभाली. कमान भी ऐसे संभाली की मोदी के हनुमान बन गए. बिहार में भले ही चिराग की नीतीश से न बनी हो लेकिन चिराग लगातार बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में रहे हैं. हाजीपुर सीट को लेकर चचा भतीजे के बीच विवाद को भी बीजेपी ने जड़ से खत्म कर दिया है. हाजीपुर सीट भी अब चिराग के खाते में है.

चिराग को विरासत में मिला है 5-6 फीसदी पासवान वोट

बताते चलें कि कथित चुनावी ताकत के मामले में चिराग, नीतीश के ठीक बाद आते हैं. हालांकि उनके मन में नीतीश और पारस के लिए कोई प्यार नहीं है. इसलिए, स्पष्ट रूप से भाजपा के लिए आगे की राह कठिन है. जबकि पार्टी अपने ईबीसी (अत्यंत पिछड़ी जाति) वोटों के लिए नीतीश को चाहती है, वह चिराग को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्हें बिहार में अपने पिता के 5-6 प्रतिशत पासवान वोटों का सबसे बड़ा हिस्सा विरासत में मिला है.

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