CG News: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का मावली माता की डोली के विदाई के साथ हुआ समापन

CG News: सबसे अधिक दिनों तक चलने वाले बस्तर के विश्व प्रसिद्ध दशहरा का शनिवार को मावली माता की डोली विदाई के साथ समापन हुआ, सामान्यतः बस्तर का दशहरा 75 दिनों तक चलता है लेकिन इस वर्ष बस्तर दशहरा का महापर्व 77 दिनों तक मनाया गया.
CG News

बस्तर दशहरे का हुआ समापन

– संजु साहू 

CG News: सबसे अधिक दिनों तक चलने वाले बस्तर के विश्व प्रसिद्ध दशहरा का शनिवार को मावली माता की डोली विदाई के साथ समापन हुआ, सामान्यतः बस्तर का दशहरा 75 दिनों तक चलता है लेकिन इस वर्ष बस्तर दशहरा का महापर्व 77 दिनों तक मनाया गया, शनिवार को राजवाड़ा परिसर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर से मावली माता की डोली और दंतेश्वरी माता के छत्र की विदाई परंपरागत तरीके से पूजा पाठ के साथ की गई, इस दौरान पुलिस जवानों ने माता की डोली के समक्ष हर्ष फायरिंग की राजवाड़ा से बस्तर राज परिवार के प्रमुख सदस्यों ने माता की डोली अपने कंधे में लेकर जिया डेरा तक पहुंचे, इस दौरान जगह जगह विभिन्न समाजों द्वारा माता की डोली की विदाई फूल बरसा कर की, विदाई समारोह को देखने बड़ी संख्या में भक्त सड़कों में नजर आए, दशहरा की अंतिम रस्म को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पुलिस विभाग द्वारा किए गए थे.

ये भी पढ़ें- 20 अक्टूबर को होगी भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, रायपुर दक्षिण उपचुनाव के प्रत्याशी के नाम पर लगेगी मुहर

पूजा अर्चना के बाद जवानों ने दी सलामी

जगह जगह माता की डोली को स्वागत करने के बाद डोली को जिया डेरा लाया गया और वंहा भी पूजा अर्चना करने के बाद जवानो द्वारा सलामी दी गई. इसके पश्चात माता की डोली और छत्र  को दंतेवाड़ा के लिए रवाना किया गया. आपको बता दे कि विश्व प्रसिद्द बस्तर दशहरा पर्व में शामिल होने के लिए दंतेवाड़ा से मां मावली जगदलपुर पहुंचती है और एक सप्ताह दंतेश्वरी मंदिर में रहने के बाद उन्हें बेटी की तरह विदाई दी जाती है. यह परम्परा आदिकाल से चली आ रही है जिसे आज भी राजपरिवार के सदस्य और दशहरा कमेटी के सभी लोग पूरे विधि विधान से  पूरा करते आ रहे है। आज माता की विदाई को लेकर बस्तर राजपरिवार सदस्य कमल चंद भंजदेव और बस्तर दशहरा कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि विश्व के सबसे बड़ा  पर्व आज बिना विघ्न के सम्पन्न हो गया है और माता से बस्तर सहित प्रदेश की खुशहाली की कामना की है.

ज़रूर पढ़ें