Chhattisgarh: हाई कोर्ट के निर्देश के बाद करोड़ की जमीन का सीमांकन आज, दलालों ने टुकड़ों में बेची है सरकारी भूमि

Chhattisgarh News: हाई कोर्ट के निर्देश पर सोनगंगा कालोनी की 2.18 एकड़ सरकारी भूमि का गुरुवार को सीमांकन होगा. करोड़ों की इस इस जमीन पर कब्जा कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर कुछ हिस्सा बेच भी दिया गया है. कालाेनीवासियों की शिकायत और हाई कोर्ट में याचिका के बाद अब इस पूरी जमीन का सीमांकन किया जाएगा.
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Chhattisgarh News: हाई कोर्ट के निर्देश पर सोनगंगा कालोनी की 2.18 एकड़ सरकारी भूमि का गुरुवार को सीमांकन होगा. करोड़ों की इस इस जमीन पर कब्जा कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर कुछ हिस्सा बेच भी दिया गया है. कालाेनीवासियों की शिकायत और हाई कोर्ट में याचिका के बाद अब इस पूरी जमीन का सीमांकन किया जाएगा. इसके लिए प्रशासन स्तर पर टीम बनाई गई है.

मामले में कलेक्टर से भी की गई थी शिकायत

इस मामले में कलेक्टर से भी शिकायत की गई थी कि कॉलोनी में बने गार्डन की करीब 10 हजार वर्गफीट जमीन को घेरते हुए बाउंड्री कराई जा रही है. ध्यान रहे कि यह जमीन राजस्व रिकार्ड में और निस्तार पत्रक में घास भूमि के रूप में दर्ज है. कॉलोनीवासियों ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. कॉलोनी और गार्डन के आसपास 30 लाख रुपए में पाथवे और बाउंड्री बनाई गई है.
सोनगंगा कॉलोनी के निर्माण के पहले ही यहां की सरकारी जमीन पर वर्ष 1996 से कब्जे की कोशिश चल रही है. राजस्व रिवॉर्ड के अनुसार सोनगंगा कॉलोनी में तकरीबन 8 एकड़ शासकीय भूखंड है. इसमें करीब एक एकड़ जमीन गौठान के लिए अब भी रिजर्व है. इस पर अतिक्रमण कर कुछ लोगों ने राजस्व अमले के साथ मिलकर सरकारी जमीन को निजी बना लिया है. इसमें से शासकीय भूमि खसरा नंबर 171/2 की 2.18 एकड़ में पार्क व अन्य निर्माण किए गए हैं. तत्कालीन निगम कमिश्नर सोनमणि बोरा ने इसके लिए तत्कालीन राज्यसभा सांसद कमला मनहर के माध्यम से 15 लाख रुपए स्वीकृत कराए थे.

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पटवारी और तहसीलदारों से मिलकर बेच दिया सरकारी जमीन

कालोनीवासियों के अनुसार सरकारी जमीन के 8 भूखंड पटवारी और तहसीलदारों से मिलकर बेच भी दिए गए हैं. पार्क की 10 हजार वर्गफीट जमीन पर इन दलालोंं की नजर पड़ गई है और कब्जा कर पक्का निर्माण कराया जा रहा है. कॉलोनी में जमीन गड़बड़ियों की जांच के लिए प्रशासन ने 2015 में टीम गठित की थी. इस दौरान पता चला कि करीब 10 हजार वर्गफीट सरकारी जमीन को टुकड़ों में बांटकर पहले 22 बिंदु जारी किया गया. फिर बेनामी तरीके से इसे आठ टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग लोगों को बेच दिया गया. लोगों ने सरकारी जमीन को ऊंची कीमत पर खरीद लिया और मकान भी बना लिया.

कॉलोनी के अंदर शासकीय भूमि खसरा नंबर 171/2, 171/3 क एवं 186/1 है. 2015 में जब इस शासकीय जमीन का सीमांकन कराया गया तो बड़े पैमाने पर कब्जा पाया गया. इसी सरकारी जमीन पर सरकंडा के एक जमीन दलाल ने हास्टल भी बना लिया है. इस पूरी जमीन की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपए है.

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