Chhattisgarh: हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा- पत्नी का गैर मर्द से संबंध, पति के लिए मानसिक क्रूरता

Chhattisgarh News: Chhattisgarh News: हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि शादी में मानवीय भावनाएं शामिल होती हैं, यदि भावनाएं सूख जाएं तो उसके जीवन में वापस आने की संभावना नहीं होती. विवाह तलाक का आधार नहीं होता, किन्तु पत्नी का गैर मर्द से संबंध है, तो यह पति के लिए मानसिक क्रूरता है.
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बिलासपुर हाईकोर्ट

Chhattisgarh News: हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि शादी में मानवीय भावनाएं शामिल होती हैं, यदि भावनाएं सूख जाएं तो उसके जीवन में वापस आने की संभावना नहीं होती. विवाह तलाक का आधार नहीं होता, किन्तु पत्नी का गैर मर्द से संबंध है, तो यह पति के लिए मानसिक क्रूरता है. इस क्रूरता पर पति तलाक की डिग्री पाने का हकदार है.

जानिए क्या है पूरा मामला

रायगढ़ जिला निवासी अपीलकर्ता की शादी 1 मई 2003 को हिन्दू रीति रीवाज से विवाह हुआ था. विवाह के बाद तीन संतान हुए. पति एक दिन काम से बाहर गया व वापस लौटने पर उसने देखा कि पत्नी गैर पुरूष के साथ संदिग्ध परिस्थिति में थी. पति के शोर मचाने पर परिवार के अन्य लोग भी आ गए. उस व्यक्ति को पुलिस को दिया गया. पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय पति को भविष्य में शांति से रहने की सझााईश देकर भेज दिया. 2017 में पत्नी बच्चों को लेकर अपने मित्र के साथ रहने चली गई. पति उसे लेने गया किन्तु उसने आने से इंकार कर दी. इस पर पति ने परिवार न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया. परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर पति ने हाईकोर्ट में अपील पेश की.

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पत्नी का गैर मर्द से संबंध, पति के लिए मानसिक क्रूरता – हाई कोर्ट

अपील में जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डीबी में सुनवाई हुई. डीबी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि पत्नी ने व्यभिचारी कृत्य की है, जो कि क्रूरता के समान है. वैवाहिक बंधन में गंभीरता की आवश्यकता होती है. विवाह में मानवीय भावनाएं शामिल होती है, और भावनाएं यदि सूख जाएं तो शायद ही जीवन में आने की कोई संभावना बचती है. पत्नी ने पुलिस के सामने यह स्वीकार किया कि वह व्यक्ति उसका स्कूल कॉलेज का बॉयफ्रेंड है, दोनों विवाह करना चाहते थे, किन्तु दोनों की जाति अलग होने से विवाह नहीं कर सके, उसने उक्त व्यक्ति से संबंध होने की बात भी स्वीकार की है. दोनों वर्ष 2017 से अलग-अलग रह रहें. विवाह विघटित हो चूका है, इसे किसी भी परिस्थिति में पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है.  विवाह तलाक का आधार नहीं है, किन्तु पत्नी का उक्त कृत्य पति के लिए मानसिक क्रूरता है, इस कारण से वह तलाक की डिग्री पाने का हकदार है. हाईकोर्ट ने पति की अपील को स्वीकार किया है.

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