Delhi Liquor Scam: जमानत मिल भी गई तो दिल्ली के CM नहीं कर पाएंगे काम! जानिए केजरीवाल की अर्जी पर SC ने क्या कहा
Delhi Liquor Scam: मंगलवार को दिल्ली शराब नीति मामले गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) की अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई. केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर फैसला सुनाए बिना सुप्रीम कोर्ट की बेंच उठ गई. बता दें कि सुबह 10:30 बजे सुनवाई शुरू होने के बाद लंच से पहले तक सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत की शर्तें तय कर ली थी. हालांकि, इस पर ED ने कहा कि केजरीवाल के वकील को 3 दिन सुना गया, हमें भी अपना पक्ष पर्याप्त समय दिया जाए.
किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे- केजरीवाल के वकील
बेंच ने केजरीवाल की जमानत का विरोध कर रही ED से कहा कि चुनाव चल रहे हैं और वह मौजूदा मुख्यमंत्री हैं. चुनाव 5 साल में सिर्फ एक बार आते हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केजरीवाल से कहा कि हम आपको जमानत दे देते हैं तो आप आधिकारिक ड्यूटी नहीं करेंगे. हम नहीं चाहते कि आप सरकार के काम में दखलअंदाजी करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर चुनाव नहीं होता तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था. जमानत की शर्त पर अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे, लेकिन शर्त है कि LG किसी भी काम को इस आधार पर ना रोके कि फाइल पर साइन नहीं है.
मुख्यमंत्री और आम आदमी में फर्क किया जाना सही नहीं- ED
ED की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और आम आदमी में फर्क किया जाना सही नहीं है. जेल में बंद राजनेताओं के लिए अलग नियम ना बनाएं. इससे जनता के बीच गलत संदेश जाएगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत पर सुनवाई लंच तक के लिए रोक दी गई. लंच के बाद जस्टिस खन्ना ने कहा कि फिलहाल हम देखते हैं कि दलीलें खत्म होती हैं या नहीं. अगर नहीं तो परसों यानी 9 मई की डेट देंगे. अगर संभव नहीं हुआ तो अगले हफ्ते की भी तारीख दे सकते हैं. उधर राउज एवेन्यू कोर्ट से केजरीवाल को बड़ा झटका लगा. कोर्ट ने भी केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी है.
केजरीवाल की जमानत पर कोर्ट के 4 टिप्पणी
- केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं.
- लोकसभा चुनाव जारी हैं और वह दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं.
- अगर चुनाव होता तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था.
- चुनाव 5 साल में सिर्फ एक बार होते हैं.
जमानत के विरोध में ED की 5 दलीलें
- आपको राजनेताओं के लिए अलग कैटेगरी नहीं बनाया जाना चाहिए.
- देश में इस वक्त 5 हजार केस हैं जिनमें सांसद शामिल हैं. सभी को जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए?
- अगर कोई किसान जिसके खेत में बुवाई का सीजन चल रहा है, वह किसी सांसद से कम महत्वपूर्ण है क्या?
- जमानत पर रिहाई दी तो यह संदेश जाएगा कि केजरीवाल ने कुछ नहीं किया, लेकिन उन्हें चुनाव से पहले गिरफ्तार किया.
- अगर उन्होंने सहयोग किया होता और ED के 9 समन नजरअंदाज ना किए होते तो शायद गिरफ्तारी ना होती.