SIR के बाद वोटर लिस्ट से कट गया है नाम? अब आधार के जरिए कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन, SC का बड़ा फैसला
प्रतीकात्मक तस्वीर
Bihar Voter List: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर बड़ा आदेश दिया है. अब अगर आपका नाम वोटर लिस्ट से गायब है, तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं. आप अपने आधार कार्ड की मदद से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और अपना नाम वोटर लिस्ट में दोबारा जुड़वा सकते हैं. और हां, इसके लिए आपको फॉर्म की फिजिकल कॉपी जमा करने की भी जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने साफ-साफ कह दिया कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए अब आधार कार्ड भी मान्य होगा. पहले निर्वाचन आयोग ने 11 दस्तावेजों की लिस्ट दी थी, लेकिन अब आधार कार्ड भी उस लिस्ट का हिस्सा बन गया है. मतलब, अगर आपके पास पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या कोई और डॉक्यूमेंट नहीं है, तो भी आधार कार्ड से काम चल जाएगा. यह खबर उन लाखों लोगों के लिए राहत की सांस है, जिनका नाम वोटर लिस्ट से हट गया था.
राजनीतिक दलों को कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को भी आड़े हाथों लिया. कोर्ट ने कहा कि हर पार्टी अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) को सक्रिय करे और लोगों को फॉर्म भरने में मदद करे. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अगर कोई BLA फिजिकल फॉर्म जमा करता है, तो बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को उसे रसीद देनी होगी. कोर्ट को यह देखकर हैरानी हुई कि बिहार में 1.6 लाख BLAs होने के बावजूद अब तक सिर्फ दो आपत्तियां ही दर्ज हुई हैं. कोर्ट ने सवाल उठाया, “इतने सारे एजेंट्स हैं, फिर भी आपत्तियां क्यों नहीं आ रही हैं?”
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BLO पर क्यों लग रहे आरोप?
राजनीतिक दलों ने कोर्ट में शिकायत की कि BLO आधार कार्ड को अकेले दस्तावेज के तौर पर स्वीकार नहीं कर रहे. वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि कई BLO आधार कार्ड को मानने से इनकार कर रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी है. दूसरी तरफ, ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि बिहार के कई प्रवासी मजदूर फॉर्म भरने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. साथ ही, हर निर्वाचन क्षेत्र में BLAs की मौजूदगी भी नहीं है, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है.
फॉर्म जमा करने की डेडलाइन बढ़ेगी?
वकील फौज़िया शकील ने कोर्ट से मांग की कि फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख को 1 सितंबर तक बढ़ाया जाए, क्योंकि वोटर लिस्ट से हटाए गए लोगों की सूची 19 अगस्त को ही जारी हुई थी. कोर्ट ने इस पर सुझाव दिया कि कोई भी मतदाता ऑनलाइन फॉर्म जमा कर सकता है, चाहे वह आधार कार्ड हो या मैट्रिक सर्टिफिकेट. कोर्ट यह भी जांच कर रहा है कि क्या निर्वाचन आयोग की पूरी SIR प्रक्रिया कानूनी रूप से सही है या नहीं.
चुनाव आयोग ने दी सफाई
चुनाव आयोग की ओर से वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की पूरी लिस्ट, उनके कारणों के साथ, आयोग की वेबसाइट और पोलिंग बूथ पर उपलब्ध है. यह लिस्ट BLAs को भी दी गई है. उन्होंने कहा कि अब तक 2 लाख से ज्यादा नए मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए हैं. राकेश ने यह भी दावा किया कि कुछ राजनीतिक दल सिर्फ डर का माहौल बना रहे हैं.