लालू का ‘लट्ठ’, मोहब्बत का ड्रामा…तेज प्रताप पर एक्शन मास्टरस्ट्रोक या डैमेज कंट्रोल? समझिए ‘सियासी सलीम’ की पूरी कहानी!
लालू परिवार का पॉलिटिकल ड्रामा
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) का परिवार सुर्खियों में है. इस बार मामला है उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का, जिन्हें लालू ने न सिर्फ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया, बल्कि परिवार से भी बेदखल कर दिया. यह फैसला तब आया जब तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ अपने रिश्ते का खुलासा किया. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह लालू का सियासी मास्टरस्ट्रोक है, डैमेज कंट्रोल की कोशिश या फिर परिवार और पार्टी में उथल-पुथल का नया अध्याय? आइए, सबकुछ विस्तार से समझते हैं…
मास्टरस्ट्रोक या मजबूरी?
लालू यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के संघर्ष को कमजोर करता है. ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधियां और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है.”
राजनीतिक जानकार इसे लालू का सियासी दांव मान रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर है, और तेजस्वी यादव RJD के चेहरे के तौर पर उभर रहे हैं. तेज प्रताप का अनुष्का प्रकरण और उनकी तलाक की चल रही कानूनी लड़ाई पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती थी. लालू का यह कदम तेजस्वी के नेतृत्व को मजबूत करने और पार्टी को एकजुट रखने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन यह भी सच है कि तेज प्रताप की हरकतों ने पहले भी RJD को मुश्किल में डाला है, और इस बार लालू ने सख्ती दिखाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है.
तेज प्रताप की बगावत और नई पार्टी की अटकलें
तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हुआ था, लेकिन लालू और पार्टी ने उनकी सफाई को नजरअंदाज कर दिया. कुछ लोग मानते हैं कि तेज प्रताप अब बगावती तेवर अपना सकते हैं. 2021 में उन्होंने ‘छात्र जनशक्ति परिषद’ नाम से एक संगठन बनाया था, जिसे RJD का हिस्सा बताया गया था. अब X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया जा रहा है कि तेज प्रताप नई पार्टी बना सकते हैं.
क्या तेज प्रताप नई पार्टी बनाकर कामयाब होंगे? यह मुश्किल लगता है. तेज प्रताप के पास न तो तेजस्वी जैसा जनाधार है और न ही संगठनात्मक ताकत. उनके समर्थक भले ही कुछ हलचल मचाएं, लेकिन बिहार की सियासत में RJD का कोर वोटर (यादव और मुस्लिम) अभी भी लालू और तेजस्वी के साथ है. अगर तेज प्रताप नई पार्टी बनाते हैं, तो वे RJD के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं, लेकिन इसका बड़ा फायदा विपक्षी दलों, खासकर BJP और JDU को होगा.
तलाक का मामला और कानूनी पेंच
तेज प्रताप का ऐश्वर्या राय से तलाक का केस 2018 से कोर्ट में चल रहा है. अनुष्का प्रकरण ने इस मामले को और पेचीदा कर दिया है. तेज प्रताप ने दावा किया कि वे 12 साल से अनुष्का के साथ रिलेशनशिप में हैं, जो उनकी शादी (2018) से पहले का समय है. अगर कोर्ट में यह साबित होता है कि तेज प्रताप ने तलाक से पहले किसी और रिश्ते को सार्वजनिक किया, तो यह हिंदू मैरिज एक्ट के तहत ‘विवाहेतर संबंध’ माना जा सकता है. यह न सिर्फ तलाक केस को प्रभावित कर सकता है, बल्कि उनकी विधायकी पर भी खतरा मंडरा सकता है.
ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय अब JDU में हैं, इस मामले को और तूल दे सकते हैं. अगर ऐश्वर्या विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत करती हैं, तो तेज प्रताप की हसनपुर सीट से विधायकी रद हो सकती है. यह लालू परिवार के लिए कानूनी और सियासी दोनों मोर्चों पर मुश्किल खड़ी कर सकता है.
बिहार विधानसभा चुनाव पर असर
बिहार में सितंबर-अक्टूबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. तेज प्रताप का यह विवाद RJD के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. लालू का सख्त फैसला पार्टी को एकजुट दिखाने की कोशिश है, लेकिन यह परिवार में फूट की कहानी भी है. तेजस्वी ने इस मामले पर कहा, “तेज प्रताप वयस्क हैं, उन्हें अपने निजी फैसले लेने का हक है.” यह बयान तेजस्वी की सधी हुई रणनीति को दिखाता है, जो विवाद से दूरी बनाकर अपनी छवि बचाने की कोशिश कर रहा है.
वहीं, विपक्षी दल BJP और JDU इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश करेंगे. तेज प्रताप का विवाद और ऐश्वर्या का JDU से जुड़ा परिवार NDA के लिए ‘बिहार की बेटी’ का नैरेटिव बनाने का मौका दे सकता है. अगर ऐश्वर्या चुनाव लड़ती हैं, जैसा कि कुछ खबरों में दावा किया गया है, तो यह RJD के लिए बड़ा झटका होगा.
दूसरी पार्टियों को फायदा
तेज प्रताप का निष्कासन और तलाक विवाद NDA के लिए नैतिक और सियासी मुद्दा बन सकता है. वे इसे लालू परिवार की ‘अनैतिकता’ और ‘पारिवारिक कलह’ के तौर पर पेश कर सकते हैं, जो उनके कोर वोटर को आकर्षित करेगा. ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय JDU के दिग्गज नेता हैं. अगर वे इस मुद्दे को भुनाते हैं, तो RJD का यादव वोट बैंक कमजोर हो सकता है, खासकर छपरा और आसपास के इलाकों में. अगर तेज प्रताप नई पार्टी बनाते हैं, तो इसका सीधा फायदा छोटे दलों जैसे AIMIM या VIP को हो सकता है, जो RJD के मुस्लिम और गैर-यादव OBC वोटरों को अपनी ओर खींच सकते हैं.
क्या है तेज प्रताप का अगला कदम?
तेज प्रताप की छवि हमेशा से ही रंगीली रही है. कभी कृष्ण के रूप में बांसुरी बजाना, तो कभी जलेबी तलना, उनके अंदाज ने हमेशा सुर्खियां बटोरी हैं. लेकिन इस बार मामला उनकी निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर से जुड़ा है. अगर वे बगावत करते हैं, तो यह लालू परिवार की एकता और RJD की साख के लिए बड़ा खतरा होगा. हालांकि, उनकी सीमित लोकप्रियता और संगठनात्मक कमजोरी को देखते हुए नई पार्टी की सफलता पर सवालिया निशान हैं.
लालू यादव का तेज प्रताप को बाहर करने का फैसला एक साहसिक कदम है, जो तेजस्वी को मजबूत करने और पार्टी की छवि बचाने की कोशिश हो सकता है. लेकिन यह परिवार में फूट और बिहार की सियासत में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है. तेज प्रताप की बगावत, तलाक का कानूनी पेंच और विपक्षी दलों की रणनीति, यह सब मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव को और रोचक बना देगा.