“योगी ही नहीं, हिमंत-फडणवीस भी लोकप्रिय”, निशिकांत दुबे ने ऐसा क्यों कहा? सियासी हलचल तेज

योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता पर बात करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि लोग उन्हें पसंद करते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन जनता केवल योगी को ही नहीं पसंद करती.
Nishikant Dubey On CM Yogi

निशिकांत दुबे और सीएम योगी

Nishikant Dubey On CM Yogi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का एक बयान खूब सुर्खियां बटोर रहा है. झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में कहा कि योगी आदित्यनाथ अभी भले ही यूपी के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन दिल्ली की गद्दी अभी खाली नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि 20 या 25 साल बाद क्या होगा, यह कोई नहीं जानता, क्योंकि राजनीति में 20 साल का समय बहुत लंबा होता है.  

पीएम मोदी के नाम पर मिला वोट, योगी के नाम पर नहीं?

दुबे ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि जब योगी आदित्यनाथ पहली बार मुख्यमंत्री बने, तो लोगों ने उनके नाम पर वोट नहीं दिया था. सांसद के अनुसार, जनता ने पीएम मोदी के नाम पर मतदान किया था और देश की आम जनता आज भी पीएम मोदी को ही वोट देती है.

योगी ही नहीं, ये नेता भी हैं जनता की पसंद

योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता पर बात करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि लोग उन्हें पसंद करते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन जनता केवल योगी को ही नहीं पसंद करती. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी लोग खूब पसंद करते हैं.

यह भी पढ़ें: एमपी में भाजपा की ‘सोशल इंजीनियरिंग’, हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ साधा जातीय समीकरण

गृहमंत्री अमित शाह को मिला काम का श्रेय

निशिकांत दुबे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि अमित शाह की लोकप्रियता की कल्पना करना भी मुश्किल है. दुबे ने गृहमंत्री को अनुच्छेद 370 और 35-ए को खत्म करने, साथ ही नक्सलवाद को समाप्त करने का श्रेय दिया. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी इतनी बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी है, इसका श्रेय उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष को जाता है, जो जाहिर तौर पर अमित शाह ही थे.

यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2024 के लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और भविष्य की राजनीतिक समीकरणों को लेकर चर्चाएं तेज हैं.

ज़रूर पढ़ें