CJI पर जूता फेंकने वाले वकील को अफसोस नहीं, जानिए रिहाई के बाद क्या-क्या कहा
राकेश किशोर रिहा
Rakesh Kishore On CJI: मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश (Lawyer Shoe Throwing) करने वाले वकील को रिहा कर दिया गया है. जी हां, आपने सही सुना. दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले 71 साल के वकील राकेश किशोर ने कोर्टरूम नंबर 1 में यह हरकत की, लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रही. जूता CJI तक पहुंचा ही नहीं. सुरक्षाकर्मियों ने फुर्ती दिखाते हुए राकेश को तुरंत पकड़ लिया और कोर्ट से बाहर ले गए. बाहर निकलते वक्त राकेश ने कहा, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे.” लेकिन CJI गवई ने बड़े ही ठंडे दिमाग से कहा, “इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, केस की सुनवाई जारी रखें.”
आखिर क्यों भड़के राकेश?
राकेश का गुस्सा CJI के एक पुराने बयान से भड़का था. 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक PIL पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची मूर्ति की मरम्मत और पुनर्स्थापना की मांग थी. यह मूर्ति यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जावरी मंदिर में है. CJI गवई ने इस PIL को ‘पब्लिसिटी स्टंट’ बताते हुए खारिज कर दिया और टिप्पणी की, “जाओ, भगवान से कहो कि खुद कुछ करें.”
वकील ने कहा, “CJI का यह बयान सनातन धर्म का मज़ाक था. याचिकाकर्ता को राहत न दो, लेकिन उसका मज़ाक क्यों उड़ाना?” रिहा होने के बाद राकेश ने मीडिया से बेबाकी से कहा, “मैं नशे में नहीं था, मैं दुखी था. मुझे कोई अफसोस नहीं है.”
क्या हुआ वकील राकेश का?
सुप्रीम कोर्ट के सुरक्षाकर्मियों ने राकेश को पकड़कर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने कोर्ट परिसर में ही उनसे 3 घंटे पूछताछ की. लेकिन चौंकाने वाली बात, न CJI ने और न ही सुप्रीम कोर्ट ने कोई शिकायत दर्ज की. राकेश ने सहयोग किया और सोमवार देर रात उन्हें रिहा कर दिया गया. उनके जूते और सामान भी लौटा दिए गए. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश का वकालत का लाइसेंस तुरंत निलंबित कर दिया. SCBA ने इसे “CJI के पद की गरिमा पर हमला” बताया.
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CJI का रिएक्शन और सियासी हलचल
CJI गवई ने इस घटना को हल्के में लिया. उन्होंने कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा, “ऐसी चीजों से विचलित न हों, मैं भी नहीं हूं.” लेकिन इस घटना ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CJI से बात की और इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया. कई नेताओं और पार्टियों ने इसकी निंदा की, इसे भारत की न्यायिक गरिमा पर धब्बा बताया.
क्या है पूरा माजरा?
वकील राकेश का कहना है कि CJI को अपने बयानों में पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. दूसरी ओर, CJI गवई ने 18 सितंबर को सफाई दी थी कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और उनका बयान ASI की जिम्मेदारी पर था, न कि धर्म पर. फिर भी, यह घटना सनातन धर्म और न्यायपालिका के बीच तनाव की एक छोटी सी झलक दिखाती है.
सीजेआई पर जूता फेंकने वाला वकील कौन है?
सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाला वकील राकेश किशोर है. वह दिल्ली के मयूर विहार में रहते हैं. राकेश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) का रजिस्टर्ड सदस्य थे. राकेश किशोर का जन्म 10 सितंबर, 1954 को हुआ था. 55 साल की उम्र में, उन्होंने 2009 में दिल्ली बार काउंसिल (BCD) में नामांकन कराया. सोमवार की घटना के तुरंत बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने किशोर को निलंबित करने का आदेश दिया. बीसीआई ने उन्हें भारत की किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या प्राधिकरण में पेश होने, पैरवी करने या वकालत करने से भी रोक दिया है. राकेश को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने को कहा गया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न जारी रखी जाए.