गर्मी की छुट्टी में रामायण और वेद पढ़ेंगे इस राज्य के बच्चे, हाई कोर्ट ने दिखाई हरी झंडी
प्रतीकात्मक तस्वीर
UP News: उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में अब गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को सिर्फ खेलकूद ही नहीं, बल्कि रामायण और वेदों की कहानियां भी सिखाई जाएंगी. योगी सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद बच्चों को भगवान राम के आदर्शों से जोड़ने का एक खास प्लान तैयार किया है. इस अनोखे सांस्कृतिक अभियान को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी हरी झंडी दे दी है.
कोर्ट ने खारिज की याचिका
दरअसल, देवरिया के एक शख्स डॉ. चतुरानन ओझा ने इस पहल के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि स्कूलों में रामायण और वेदों की वर्कशॉप करवाना संविधान के सेक्युलर सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे जातिगत-लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है. लेकिन जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस शैलेंद्र क्षितिज की बेंच ने इस याचिका को ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताकर खारिज कर दिया. कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसी याचिकाएं सरकारी काम में रोड़ा डालने की कोशिश हैं. कोर्ट का मानना है कि यह पहल बच्चों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का शानदार तरीका है.
रामलीला से लेकर वेदगान तक
रामायण और वैदिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, अयोध्या ने 5 मई 2025 को प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर स्कूलों में 5 से 10 दिन की खास वर्कशॉप चलाने का निर्देश दिया. इन वर्कशॉप में बच्चों को रामलीला, क्ले मॉडलिंग, मुख सज्जा, वेदगान जैसे मजेदार सेशन में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा. इसका मकसद बच्चों में सांस्कृतिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है.
बच्चों में जागेगी संस्कृति की चेतना
योगी सरकार का कहना है कि यह वर्कशॉप बच्चों को न सिर्फ अपनी संस्कृति से जोड़ेगी, बल्कि उनमें नैतिकता और कला के प्रति रुचि भी पैदा करेगी. सरकार का मानना है कि भगवान राम के आदर्शों से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी, जो उनके व्यक्तित्व को और निखारेगी.
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सरकार ने दिया करारा जवाब
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह वर्कशॉप वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है और संविधान के सेक्युलर सिद्धांतों का उल्लंघन करती है. जवाब में सरकार ने कहा कि यह कोई धार्मिक प्रचार नहीं, बल्कि बच्चों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का प्रयास है. सरकार ने जोर देकर कहा कि यह कदम बच्चों के नैतिक और सांस्कृतिक विकास के लिए जरूरी है
यूपी के स्कूल बनेंगे सांस्कृतिक क्रांति का केंद्र
इस फैसले के बाद यूपी के प्राइमरी स्कूल अब सांस्कृतिक क्रांति का नया केंद्र बनने जा रहे हैं. बच्चों को न सिर्फ किताबी ज्ञान, बल्कि अपनी सभ्यता और संस्कृति का गहरा अनुभव भी मिलेगा. यह पहल न केवल बच्चों के मन में रामायण और वेदों के प्रति उत्साह जगाएगी, बल्कि उन्हें अपनी जड़ों से जोड़कर एक नई दिशा भी देगी.