“ट्रायल पूरा होने में वक्‍त लगेगा”, यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दी केजरीवाल के पूर्व पीए बिभव कुमार को जमानत

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने इस बात को ध्यान में रखा कि आरोपी 100 दिनों से हिरासत में है और मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है.
Swati Maliwal Assault Case

बिभव कुमार और स्वाति मालीवाल (फाइल फोटो)

Swati Maliwal Assault Case: राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला करने के आरोपी बिभव कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. बिभव दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के सहयोगी हैं. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने इस बात को ध्यान में रखा कि आरोपी 100 दिनों से हिरासत में है और मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 51 गवाहों की जांच की जानी है और मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा.

पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को तीन महीने के भीतर सबसे पहले महत्वपूर्ण और कमजोर गवाहों की जांच पूरी करने का प्रयास करना चाहिए. अदालत ने आगे निर्देश दिया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा रखने वाले बिभव कुमार को केजरीवाल के निजी सहायक के रूप में बहाल नहीं किया जाएगा या उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में कोई आधिकारिक कार्यभार नहीं दिया जाएगा.

AAP ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद दिया

शीर्ष अदालत ने 43 वर्षीय कुमार को सभी गवाहों की जांच होने तक मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने से भी रोक दिया. कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं. फैसला आने के तुरंत बाद आप ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के सहयोगी को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया.

आप की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “बिभव कुमार को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को तहे दिल से धन्यवाद. यह मामला विचाराधीन है और इस पर आगे टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.”

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बिभव कुमार के वकील ने किस तरह मामले पर बहस की

सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मालीवाल को लगी चोटें साधारण हैं और भारतीय दंड संहिता की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास) के तहत अपराध का आरोप लगाना उचित नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि गवाह दिल्ली पुलिस के ही अधिकारी हैं और इसलिए गवाहों को डराने या प्रभावित करने की कोई गुंजाइश नहीं है. 12 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने श्री कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनका काफी प्रभाव है और उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं बनता है.

 

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