प्रशांत किशोर को कन्हैया ने दिया ये ऑफर, कांग्रेस की इस सियासी चाल से टेंशन में होंगे लालू के लाल!

जन सुराज वाले प्रशांत किशोर और कांग्रेस नेता कन्हैया कुुमार
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल मची है. एक तरफ जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) अपनी ‘बिहार बदलाव रैली’ के जरिए सुर्खियां बटोर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार ने उन्हें ऐसा ऑफर दे दिया है, जिसने सबके कान खड़े कर दिए हैं. लेकिन इस बीच, RJD के तेजस्वी यादव की नाराजगी भी साफ दिख रही है. आखिर माजरा क्या है? चलिए, इस सियासी ड्रामे को विस्तार से समझते हैं.
कन्हैया ने पीके को दिया साथ आने का न्योता
हाल ही में पटना के गांधी मैदान में जन सुराज की ‘बिहार बदलाव रैली’ हुई. कुछ लोग इसे फ्लॉप बता रहे हैं, लेकिन इसने बिहार की सियासत में हंगामा जरूर मचा दिया. इसी बीच, कांग्रेस के फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार ने एक टीवी इंटरव्यू में PK को इशारों-इशारों में साथ आने का न्योता दे डाला. कन्हैया ने कहा, “बिहार की भलाई के लिए जो भी काम करे, उसका स्वागत है. हमें मिलकर काम करना चाहिए, क्योंकि बिहार को खास ध्यान और व्यवस्था की जरूरत है.” ये बातें सुनने में साधारण लगती हैं, लेकिन इनका सियासी मतलब गहरा है. कन्हैया का ये बयान कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो बिहार में नए दोस्त बनाने की कोशिश कर रही है.
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जनसुराज को बीजेपी की ‘बी-टीम’ बता रहे हैं तेजस्वी
लेकिन यहीं पर कहानी में ट्विस्ट आता है. कन्हैया के इस ‘दोस्ताना ऑफर’ से RJD के तेजस्वी यादव की भौंहें तन गई हैं. तेजस्वी और उनकी पार्टी PK को बीजेपी की ‘बी-टीम’ बताकर हमला बोल रही है. खासकर तब से, जब PK ने ऐलान किया कि वो तेजस्वी के गढ़ राघोपुर से चुनाव लड़ेंगे. तेजस्वी अपनी सभाओं में PK पर तीखे तंज कसते हैं, लेकिन कन्हैया का नरम रवैया RJD को चुभ रहा है. ये साफ है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. जहां RJD तेजस्वी को सीएम चेहरा बताने में जुटी है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि 2025 के चुनाव के बाद विधायक ही सीएम चुनेंगे. हाल ही में सचिन पायलट ने भी यही बात दोहराई थी.
PK के प्रति चिराग का रवैया भी नरम
दिलचस्प बात ये है कि सिर्फ कन्हैया ही नहीं, LJP (रामविलास) के चिराग पासवान भी PK के प्रति नरम दिखे हैं. चिराग ने कहा, “अगर PK बिहार के लिए काम कर रहे हैं, तो ये अच्छा है. लेकिन उनकी असली ताकत 2025 में ही पता चलेगी.” यानी, बिहार की सियासत में PK को लेकर हर कोई अपनी-अपनी चाल चल रहा है. तो क्या PK कांग्रेस के साथ जाएंगे? या तेजस्वी का गुस्सा और भारी पड़ेगा? बिहार की जनता के बीच PK की साख कितनी है, ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना तय है कि 2025 का चुनाव बिहार में पहले से कहीं ज्यादा रोमांचक होने वाला है.