छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई, ऑपरेशन ‘हॉट परस्यूट’ और ‘ड्राइव फॉर हंट’ ने तोड़ी नक्सलियों की कमर

‘ड्राइव फॉर हंट’ ऑपरेशन नक्सलियों के छिपने की क्षमता को कम करने के लिए खासतौर से डिज़ाइन किया गया है. नक्सली आमतौर पर घने जंगलों में छिपकर अपनी रणनीतियों को अंजाम देते हैं. लेकिन इस ऑपरेशन के तहत सुरक्षा बलों ने जंगलों में नक्सलियों को चारों ओर से घेरने की रणनीति अपनाई है.
Naxal Encounter

अमित शाह और विष्णुदेव साय

Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों का ऑपरेशन अब और भी आक्रामक हो गया है. पिछले कुछ महीनों में राज्य में चलाए जा रहे विशेष ऑपरेशनों ने नक्सलियों के तंत्र को लगभग ध्वस्त कर दिया है. ‘हॉट परस्यूट’ और ‘ड्राइव फॉर हंट’ नाम के इन ऑपरेशनों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को लगातार बड़ी सफलता दिलाई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में चल रही रणनीतियों से नक्सलियों की कमर टूटती दिख रही है.

कैसे काम कर रहा है ‘हॉट परस्यूट’ ऑपरेशन?

‘हॉट परस्यूट’ ऑपरेशन की रणनीति बेहद सरल लेकिन प्रभावी है. इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य नक्सलियों की गतिविधियों का पता चलते ही उनके ठिकानों तक पहुंचकर उन्हें घेरना और कार्रवाई को अंजाम देना है. इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को न केवल स्थानीय बल्कि सीमा पार जाकर भी कार्रवाई करने की शक्ति प्राप्त होती है. नक्सलियों को तत्काल प्रभाव से घेरकर उनकी गतिविधियों पर काबू पाया जाता है, जिससे वे अपने ठिकानों से भागने का मौका नहीं पाते. इस ऑपरेशन के तहत कई नक्सली मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं, और इससे उनके नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है.

‘ड्राइव फॉर हंट’ ऑपरेशन

‘ड्राइव फॉर हंट’ ऑपरेशन नक्सलियों के छिपने की क्षमता को कम करने के लिए खासतौर से डिज़ाइन किया गया है. नक्सली आमतौर पर घने जंगलों में छिपकर अपनी रणनीतियों को अंजाम देते हैं. लेकिन इस ऑपरेशन के तहत सुरक्षा बलों ने जंगलों में नक्सलियों को चारों ओर से घेरने की रणनीति अपनाई है. जंगलों में नक्सलियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए विशेष तकनीकों और रणनीतियों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उनके बच निकलने के रास्ते कम होते जा रहे हैं. इस रणनीति के तहत हाल ही में नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर हुए ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने 40 नक्सलियों को मार गिराया, जो इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है.

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जवानों की रणनीति और बेहतर तैयारी

नक्सल विरोधी ऑपरेशनों की सफलता का एक बड़ा कारण सुरक्षा बलों की बेहतर तैयारी है. उन्हें इलाके की भौगोलिक जानकारी दी गई है और विशेष जूते और उपकरण मुहैया कराए गए हैं, ताकि दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी वे आसानी से अभियान चला सकें. इसके साथ ही, स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच समन्वय को और बेहतर किया गया है, जिससे कार्रवाई तेज और सटीक हो रही है.

नक्सलियों पर बढ़ता दबाव

नक्सलियों के बड़े नेताओं की गतिविधियों पर विशेष नज़र रखी जा रही है. ग्रामीणों का भी सरकार पर भरोसा बढ़ा है, जिससे सुरक्षा बलों को नक्सलियों की सूचनाएं मिलने में आसानी हो रही है. साथ ही, नक्सलियों के वित्तीय तंत्र पर भी कार्रवाई तेज कर दी गई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो रही है.

अमित शाह का सख्त संदेश

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित सात राज्यों की अंतरराज्यीय समन्वय समिति की बैठक की थी, जिसमें उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि नक्सलियों के पास अब दो ही रास्ते बचे हैं—या तो वे आत्मसमर्पण करें, या फिर सुरक्षा बलों की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें. शाह ने यह भी कहा कि चाहे नक्सली कितने ही गहरे जंगलों या पहाड़ियों में क्यों न छिप जाएं, सुरक्षा बल उन्हें ढूंढ निकालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ‘हॉट परस्यूट’ और ‘ड्राइव फॉर हंट’ ऑपरेशनों ने नक्सलियों को बड़ा झटका दिया है. सुरक्षा बलों की बेहतर तैयारी, रणनीति और सरकार के आक्रामक रुख के चलते नक्सलियों की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है. आने वाले दिनों में यह लड़ाई और भी तेज होने की संभावना है, जिससे नक्सलियों का खात्मा सुनिश्चित हो सके.

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