34 सालों तक की रामलला की सेवा, बस 100 रुपये तनख्वाह…श्रद्धा, समर्पण और संघर्ष की मिसाल थे आचार्य सत्येंद्र दास

1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय, आचार्य सत्येंद्र दास रामलला की मूर्ति की रक्षा करने में आगे आए थे. वह उस समय रामलला की मूर्ति के पास खड़े हो गए थे, ताकि कोई नुकसान न पहुंचा सके.
Acharya Satyendra Das

आचार्य सत्येंद्र दास

Acharya Satyendra Das Passes Away: राम मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया. उनकी मृत्यु ने न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे देश को शोकाकुल कर दिया है. वह न केवल एक प्रमुख धार्मिक नेता थे, बल्कि राम मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभ भी रहे थे. उनकी भूमिका अयोध्या के राम मंदिर के इतिहास में महत्वपूर्ण रही है.

कौन थे आचार्य सत्येंद्र दास?

आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई 1945 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. बचपन से ही उन्हें राम के प्रति गहरी श्रद्धा थी. उनके मन में भगवान राम के प्रति प्रेम इतना गहरा था कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र में संन्यास लेने का निर्णय लिया और अयोध्या के एक प्रसिद्ध आश्रम में गुरु से दीक्षा ली.

राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका

1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय, आचार्य सत्येंद्र दास रामलला की मूर्ति की रक्षा करने में आगे आए थे. वह उस समय रामलला की मूर्ति के पास खड़े हो गए थे, ताकि कोई नुकसान न पहुंचा सके. उनका यह साहसिक कदम और राम के प्रति समर्पण आज भी लोगों के दिलों में ताजातरीन है. आचार्य सत्येंद्र दास का 1992 में राम मंदिर के प्रमुख पुजारी के रूप में कार्यकाल शुरू हुआ. उन्होंने 34 वर्षों तक राम मंदिर में पूजा-अर्चना की और मंदिर की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी सेवा का एक प्रमुख पहलू यह था कि उनका मासिक वेतन मात्र 100 रुपये था. हालांकि, उनका समर्पण और श्रद्धा किसी वेतन से नहीं तौला जा सकता था.

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राम मंदिर निर्माण में उनका योगदान

राम मंदिर निर्माण के रास्ते में कई तरह की कानूनी और राजनीतिक अड़चनें थीं. आचार्य सत्येंद्र दास ने न केवल मंदिर के निर्माण की दिशा में धार्मिक कार्यों को जारी रखा, बल्कि वह मंदिर आंदोलन का एक चेहरा बन गए. राम मंदिर का निर्माण लंबे समय से एक संवेदनशील और विवादित मुद्दा रहा था. हालांकि, आचार्य सत्येंद्र दास के नेतृत्व में राम मंदिर के निर्माण के लिए अयोध्या में एक स्थिर और शांतिपूर्ण माहौल स्थापित हुआ. उन्होंने मंदिर के निर्माण के लिए धार्मिक और सामाजिक संगठनों को एकजुट किया. 2024 में आचार्य सत्येंद्र दास को फिर से राम मंदिर के प्रमुख पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया.

आचार्य सत्येंद्र दास का निधन 80 वर्ष की आयु में हुआ है. उनके निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. अयोध्या के राम मंदिर के लिए उनका योगदान अनमोल रहेगा. उनकी श्रद्धा, निष्ठा और राम के प्रति समर्पण के कारण वह हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे.

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