गलवान घाटी से चीन के सैनिकों की वापसी, भारत की रणनीतिक जीत
Galwan Valley: शुक्रवार, 13 सितंबर को चीन के विदेश मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण अपडेट साझा किया है, जिसमें कहा गया कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी समेत चार प्रमुख स्थानों पर दोनों देशों के सैनिकों की वापसी हो चुकी है. इस बयान में यह भी कहा गया है कि भारत और चीन ने रूस में अपने हालिया बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए मिलकर काम करने की सहमति व्यक्त की है.
अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक
चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार, 12 सितंबर को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सुरक्षा मामलों पर चर्चा की. यह बैठक ब्रिक्स के उच्च पदस्थ अधिकारियों की थी. दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर हाल में हुई प्रगति पर चर्चा की और आगामी कदमों पर विचार विमर्श किया. मीडिया ब्रीफिंग के दौरान चीनी प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति स्थिर है. उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में दोनों देशों की सेनाओं ने चार प्रमुख क्षेत्रों, जिनमें गलवान घाटी भी शामिल है, से वापसी की है. माओ ने यह भी कहा कि “चीन-भारत सीमा की स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है.”
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में बयान दिया था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो चुका है. हालांकि, उन्होंने सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण को एक बड़ी चिंता करार दिया.
क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए भी अनुकूल
डोभाल और वांग ने सीमा वार्ता तंत्र के विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम किया है. दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने यह आश्वासन दिया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हित में है और यह क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए भी अनुकूल है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, वांग ने जोर दिया कि चीन और भारत को अशांत विश्व का सामना करते हुए स्वतंत्रता पर दृढ़ रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एकता और सहयोग पर जोर देना चाहिए और एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए. वांग ने आशा जताई कि दोनों देश व्यावहारिक दृष्टिकोण से अपने मतभेदों को हल करेंगे और चीन-भारत संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास के रास्ते पर वापस लाएंगे.