Retail Inflation: आम आदमी को बड़ी राहत, 59 महीने के सबसे निचले स्तर पर खुदरा महंगाई
Retail Inflation: महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है. दरअसल, जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर में भारी गिरावट दर्ज की गई है. मतलब की फल, सब्जी और जरूरी चीजों की खरीददारी करने पर अब ज्यादा जेब ढीली नहीं होगी. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खुदरा महंगाई दर गिरकर 3.54 प्रतिशत पर आ गई है. यह 59 महीने में सबसे निचले स्तर पर है. खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण यह गिरावट आई.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून 2024 में 5.08 प्रतिशत और जुलाई 2023 में 7.44 प्रतिशत थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 5.42 प्रतिशत रही, जो जून में 9.36 प्रतिशत थी. पिछली बार मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे सितंबर 2019 में थी. सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को CPI मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने का काम सौंपा है. हालांकि, इसमें दो फीसदी ऊपर नीचे हो सकता है.
इससे आम आदमी को कैसे राहत?
बता दें कि दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं महंगाई मापने के लिए WPI को मुख्य मानक मानती हैं. मगर भारत ऐसा नहीं करता. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक मानता है. लेकिन अर्थव्यवस्था के स्वभाव में डब्ल्यूपीआई और सीपीआई एक-दूसरे पर असर डालते हैं. डब्ल्यूपीआई बढ़ेगा तो सीपीआई भी बढ़ेगा.
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खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी से नीचे रहने पर खुश रहता है RBI
फिलहाल सीपीआई, रिजर्व बैंक की नियंत्रण रेखा के भीतर है. भारत में सीपीआई छह प्रतिशत के दायरे में हो, तो रिजर्व बैंक खुश रहता है. खुदरा मुद्रास्फीति की दर इस महीने 4 प्रतिशत के नीचे है. यानी रिजर्व बैंक का महंगाई मापने का जो पैमाना है, वह रेड लाइन से भीतर ही है.
जब हम मुद्रास्फीति की दर के बारे में बात करते हैं, तो यह अक्सर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का ख्याल आता है. CPI उन वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में परिवर्तन को ट्रैक करता है जिन्हें परिवार अपने दैनिक उपभोग के लिए खरीदते हैं. जैसे,फल, सब्जी और राशन आदि. मुद्रास्फीति को मापने के लिए, यह देखना होता है कि पिछले वर्ष की समान अवधि में प्रतिशत परिवर्तन के संदर्भ में CPI में कितनी वृद्धि हुई है, सीधे शब्दों में कहें तो सीपीआई विशेष रूप से उपभोक्ताओं के लिए उनके दैनिक जीवन व्यय में अपस्फीति या मुद्रास्फीति की अवधि की पहचान करता है.