AAP को क्यों ‘आपदा’ बता रही है BJP? समझिए कैसे एक शब्द के इर्द-गिर्द घूमने लगी दिल्ली की राजनीति
Delhi Elections 2025: विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक गहमागहमी लगातार बढ़ रही है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP को बीजेपी ‘आपदा’ बता रही है. इन आरोपों का आधार कई बड़े मुद्दे बन चुके हैं, जिनमें प्रदूषण, यमुना नदी की सफाई, पानी की समस्या और कथित घोटाले शामिल हैं. अब सवाल है कि पीएम मोदी ने जो ‘AAP-दा’ का नैरेटिव सेट किया है, उसका दिल्ली चुनाव पर क्या असर होने वाला है? आइये सबकुछ विस्तार से जानते हैं.
पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा?
पीएम मोदी ने दिल्ली में चुनावी बिगुल फूंक दिया है. पिछले दो चुनावी रैली से पीएम मोदी ने आप सरकार और केजरीवाल पर जमकर हमला बोला है. पीएम मोदी ने कहा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हुई पार्टी के कई विधायकों पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले हैं. इन पर स्कूल घोटाला, गरीबों के इलाज के नाम पर घोटाले की लंबी फेहरिस्त है.”
पीएम ने कहा, “आपदा वाले ये झूठे लोग हैं, इन्हें झूठ बोलना ही आता है. ये आरोप लगाते हैं केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रही है, असल में ये खुद कुछ करते ही नहीं हैं.” पीएम ने आगे कहा कि जब दिल्ली के लोग कोरोना से मर रहे थे. तब इन लोगों का फोकस अपना ‘शीशमहल’ बनाने में था. आज ही एक बड़े अख़बार ने शीशमहल पर खर्चे का ऑडिट रिपोर्ट छापा है. शीहमहल पर कैसे और कितने पैसे खर्च हुए इसका ब्यौरा छापा है.
‘AAP-दा’ के पीछे बीजेपी का अवसर
अब सवाल उठता है कि बीजेपी केजरीवाल एंड टीम पर क्यों हमलावर है. आइये सबसे पहले यही जानते हैं. दरअसल, दिल्ली में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसे लेकर आप-बीजेपी में तनातनी होती रही है.
पहला प्रदूषण
दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है, खासतौर पर सर्दियों में जब AQI 500 के आसपास पहुंच जाता है. दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है, और यह समस्या स्वास्थ्य, जीवन गुणवत्ता और पर्यावरण पर साल-दर-साल गंभीर प्रभाव डाल रही है.
बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल सरकार प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने में पूरी तरह से असफल रही है. भाजपा आरोप लगाती है कि दिल्ली सरकार ने सिर्फ कागजी योजनाओं पर ध्यान दिया और जमीनी स्तर पर इन योजनाओं को लागू करने में नाकाम रही. BJP का दावा है कि दिल्ली सरकार ने यातायात के सुधार, प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक तकनीकों और अन्य उपायों में पर्याप्त कदम नहीं उठाए.
दूसरी ओर केजरीवाल ने हमेशा दावा किया है कि प्रदूषण एक राष्ट्रीय समस्या है, और दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण पड़ोसी राज्यों में जलती हुई पराली और ट्रांसपोर्टेशन हैं. उनकी सरकार ने CNG (Compressed Natural Gas) की ओर शिफ्ट करने की कोशिश की है और ट्रैफिक जाम कम करने के लिए नई मेट्रो लाइनों का विस्तार किया है. इसके अलावा, निर्माण कार्यों पर रोक, कचरा जलाने पर सख्ती और क्लीन एनर्जी के लिए योजनाएं लागू की गईं. हालांकि, इस बार के चुनाव में बीजेपी इस मुद्दे को ‘आपदा’ बता रही है.
यमुना नदी
यमुना नदी दिल्ली में जरूरी वाटर सोर्स है, लेकिन यह दशकों से गंदगी और प्रदूषण से जूझ रही है. यह दिल्लीवासियों के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है, क्योंकि यमुना के पानी की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि यह पीने योग्य नहीं है. एक्सपर्ट ने तो इसे मृत तक घोषित कर दिया है.
बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल सरकार ने यमुना की सफाई के लिए पर्याप्त कार्य नहीं किए हैं. भाजपा का आरोप है कि सरकार के पास सही योजना नहीं है और जो भी योजनाएं बनाई गईं, वे फेल हो गईं. यमुना नदी में नालों का पानी और गंदगी बहता है, जो इसके पानी को और भी अधिक गंदा कर रहा है, लेकिन सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही.
आप सरकार ने यमुना को साफ करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. उनका कहना है कि सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के माध्यम से यमुना नदी के सफाई के लिए काम किया है और इसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाई गई है. हालांकि, केजरीवाल कई बार कह चुके हैं कि यह सिर्फ दिल्ली सरकार के प्रयासों से पूरा नहीं हो सकता, बल्कि केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों के सहयोग की आवश्यकता है.
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पानी की समस्या
दिल्ली में पानी की भारी कमी एक बड़ी चुनौती है. गर्मियों में जल स्तर काफी घट जाता है और कई इलाकों में पानी के लिए लोगों की आंखों से पानी की धार बहने लगती है. बीजेपी का आरोप है कि आप सरकार ने दिल्ली के पानी संकट को हल करने के लिए कोई स्थायी उपाय नहीं किए. बीजेपी कहती है कि पानी की आपूर्ति की योजनाएं लागू करने में सरकार की नीतियां प्रभावी नहीं रही हैं.
वहीं केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने पानी की समस्या को हल करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें पाइपलाइनों की मरम्मत, और जल संरक्षण के उपाय शामिल हैं. दिल्ली जल बोर्ड ने जल वितरण के सुधार के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन ये योजनाएं लंबी अवधि में असर दिखा सकती हैं. हालांकि, ये तो आरोप प्रत्यारोप की बातें हैं, केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में तो कथित घोटाले हैं.
AAP के कथित घोटाले?
यहां पर बात करते हैं उन घोटालों की जिनके बारे में बीजेपी और विपक्षी दलों ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाए हैं.
शराब घोटाला
दिल्ली सरकार की शराब की नीतियों में बदलाव से जुड़ा हुआ है यह घोटाला. शराब बिक्री के लिए नए लाइसेंस वितरण की प्रक्रिया में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया. विपक्ष का कहना है कि इस घोटाले में आप पार्टी के नेताओं ने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए गलत तरीके से लाइसेंस जारी किए और मुनाफा कमाया.
बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल ने शराब के कारोबार को निजी हाथों में देने के लिए एक नई नीति बनाई, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना था. भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस नीति के माध्यम से पार्टी के नेताओं को फायदा पहुंचाया और इसमें पारदर्शिता की कमी थी.
वहीं, केजरीवाल ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि शराब नीति को पारदर्शी तरीके से लागू किया गया था. उनका कहना है कि नीति में कोई भी गलत काम नहीं हुआ और यह कदम राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए था. हालांकि, इस मामले में केजरीवाल खुद ही जेल रिटर्न हो चुके हैं. उन्हें अपनी कुर्सी आतिशी को सौंपनी पड़ी. इतना ही नहीं, पार्टी के मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह जैसे नेताओं को भी जेल की हवा खानी पड़ी थी. हालांकि, अब आप के सभी बड़े नेताओं को जमानत मिल गई है.
संदीप कुमार सेक्स टेप
यह घोटाला तब सामने आया जब आम आदमी पार्टी के एक विधायक संदीप कुमार पर आरोप लगे कि उन्होंने महिला कर्मचारियों के साथ अनुशासनहीनता की और एक सेक्स टेप वायरल हुआ. इस मामले में केजरीवाल सरकार की छवि को भी नुकसान हुआ था, और इससे यह आरोप लगाया गया कि पार्टी में अनुशासन की कमी है.
केजरीवाल ने इस मामले पर अपना पक्ष रखा और कहा कि इस प्रकार के व्यक्तिगत मामलों को राजनीति से अलग रखना चाहिए. पार्टी ने संदीप कुमार को तत्काल निष्कासित कर दिया था.
दिल्ली जल बोर्ड घोटाला
दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए हैं. यह आरोप लगाया गया है कि जल बोर्ड के ठेके और निविदाओं में गड़बड़ी की गई थी और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था.
बीजेपी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के संचालन में पारदर्शिता की कमी है और इस वजह से दिल्लीवासियों को पानी की असमान आपूर्ति हो रही है. वहीं, केजरीवाल ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा है कि जल बोर्ड में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. उनका कहना है कि जल आपूर्ति प्रणाली में सुधार के लिए उनकी सरकार लगातार काम कर रही है. हालांकि, अब इन आरोपों से ऊपर उठकर बीजेपी ने एक नई रणनीतिक चाल पकड़ी है. बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पीएम के ‘आपदा’ शब्द का राजनीतिकरण करने की पूरी प्लानिंग कर ली है.
बीजेपी की प्लानिंग
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग कभी भी कर सकता है. इससे पहले बीजेपी ने एक प्लानिंग की है. बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशू त्रिवेदी ने कहा कि उनकी पार्टी हर दिन AAP सरकार की एक नई ‘आपदा’ का खुलासा करेगी. त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली की जनता के सामने केजरीवाल सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार को उजागर करना बीजेपी की प्राथमिकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने दिल्लीवासियों को महंगे बिजली बिल, प्रदूषण, पानी की किल्लत और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों से जूझने के लिए छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी अब हर दिन केजरीवाल सरकार की एक नई ‘आपदा’ को सामने लाएगी, ताकि जनता को सही तस्वीर दिखाई जा सके.
बताते चलें कि दिल्ली में प्रदूषण, यमुना सफाई, पानी की समस्या और भ्रष्टाचार पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी है. बीजेपी जहां केजरीवाल सरकार को विफल बताती है, वहीं केजरीवाल सरकार इन आरोपों का जवाब देती है और अपने कार्यों को सही ठहराती है. इन मुद्दों पर चल रही राजनीति से दिल्लीवासियों को कई बार उलझन हो जाती है, और अब यह देखना होगा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर होगा. हालांकि, बीजेपी ने जो रणनीतिक चाल चली है उससे पार पाना केजरीवाल एंड टीम के लिए आसान नहीं होने वाली है.