संजय राउत के आरोपों पर पूर्व CJI चंद्रचूड़ का करारा जवाब, बोले- क्या राजनीतिक पार्टियां बताएंगी किन मामलों की सुनवाई करे सुप्रीम कोर्ट?
DY Chandrachud on Sanjay Raut: शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद, पूर्व CJI ने सफाई दी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह तय करने का अधिकार केवल चीफ जस्टिस के पास है कि कौन से मामले की सुनवाई की जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कोई राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति यह नहीं तय कर सकता कि सुप्रीम कोर्ट किस मामले को प्राथमिकता दे.
सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर स्पष्टीकरण
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने 26 नवंबर को मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूरे साल सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक और संवैधानिक मामलों पर सुनवाई की. इसमें कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की गई, जिनमें 9, 7 और 5 जजों की बेंच में होने वाले मामले भी शामिल थे. उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर आलोचना की जाती है, लेकिन कोई भी एक पक्ष यह तय नहीं कर सकता कि कोर्ट को किस मामले को सुनना चाहिए.
महाराष्ट्र चुनावों पर संजय राउत के आरोप
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा था. इस हार के बाद संजय राउत ने पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ पर आरोप लगाया था कि उन्होंने विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिकाओं पर फैसला नहीं किया, जिसके कारण राजनेताओं के मन से कानून का डर खत्म हो गया और राजनीतिक दलबदल हुआ. इस दलबदल का नतीजा MVA गठबंधन की हार के रूप में सामने आया.
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सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर पूर्व CJI का स्पष्टीकरण
पूर्व CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण और संवैधानिक मामलों पर सुनवाई हो रही है, जिनमें कुछ मामले 20 साल पुराने हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुराने मामलों को सुना जाता है तो कोर्ट पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह नए मामलों की सुनवाई नहीं कर रहा है. डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड, उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए हैं.
राजनीतिक हस्तक्षेप पर तंज
पूर्व CJI ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक वर्ग यह महसूस करते हैं कि यदि कोर्ट उनके एजेंडे के अनुसार काम करता है, तो वह स्वतंत्र है. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 38 संविधान पीठ के संदर्भों पर भी फैसले किए हैं, जो यह साबित करता है कि कोर्ट अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और अपनी स्वतंत्रता से काम कर रहा है.