साइबर अपराध पर कड़ा प्रहार, I4C की कार्रवाई से 800 फ्रॉड ऐप और 6 लाख फोन बंद

I4C विंग की स्थापना 5 अक्टूबर 2018 को गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग के तहत की गई थी. इसका उद्देश्य देशभर में साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय समन्वय केंद्र बनाना है. यह केंद्र सभी राज्यों के कंट्रोल रूम से जुड़कर उच्च प्राथमिकता वाले मामलों की निगरानी करता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

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Cyber Crime: भारत सरकार ने साइबर अपराधों के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है. गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहे I4C साइबर विंग ने 6 लाख मोबाइल फोन को बंद किया है और 65 हजार संदिग्ध URLs को ब्लॉक कर दिया है. इसके अलावा, लगभग 800 एप्लिकेशनों को भी बंद किया गया है, जो साइबर फ्रॉड में शामिल थे. यह पहल साइबर अपराध को रोकने की दिशा में एक ठोस कदम है.

NCRP को 2023 में मिली थी लाखों शिकायतें

2023 में नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) को एक लाख से अधिक निवेश धोखाधड़ी की शिकायतें मिली थी. इस मामले में लगभग 17 हजार FIR दर्ज की गई हैं. जनवरी से सितंबर 2024 के बीच, विभिन्न प्रकार के धोखाधड़ी की शिकायतें इस प्रकार हैं- डिजिटल गिरफ्तारी की 6000, ट्रेडिंग धोखाधड़ी की 20,043, निवेश धोखाधड़ी की 62,687 और डेटिंग धोखाधड़ी की 1725.

14 C विंग की कार्रवाई

पिछले चार महीनों में 3.25 लाख धोखाधड़ी वाले खातों को फ्रीज किया गया.

साइबर अपराध में उपयोग होने वाले 3401 सोशल मीडिया अकाउंट, वेबसाइट और व्हाट्सएप समूह बंद कर दिए गए.

पिछले कुछ वर्षों में साइबर धोखाधड़ी से 2800 करोड़ रुपये की बचत की गई है.

गृह मंत्रालय ने 8 लाख 50 हजार लोगों को धोखाधड़ी से बचाया है.

क्या रणनीति बना रही है सरकार?

I4C साइबर अपराधों का सामना करने के लिए कई रणनीतियां अपनाई जा रही हैं. इसके तहत एक राष्ट्रीय स्तर का समन्वय केंद्र स्थापित किया जा रहा है. साइबर अपराधों की शिकायतें आसानी से दर्ज करने में सहायता की जा रही है. कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मदद प्रदान की जा रही है. साइबर अपराध के प्रवृत्तियों और पैटर्न की पहचान की जा रही है. फर्जी डिजिटल प्लेटफार्मों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. अगले पांच वर्षों में 5,000 साइबर कमांडो को प्रशिक्षित करने की योजना है.

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क्या है I4C?

I4C विंग की स्थापना 5 अक्टूबर 2018 को गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग के तहत की गई थी. इसका उद्देश्य देशभर में साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय समन्वय केंद्र बनाना है. यह केंद्र सभी राज्यों के कंट्रोल रूम से जुड़कर उच्च प्राथमिकता वाले मामलों की निगरानी करता है.

यह प्लेटफार्म साइबर अपराधों में उपयोग होने वाले फर्जी कार्ड और खातों की पहचान, अपराध का विश्लेषण और जांच में सहयोग प्रदान करता है. इसके जरिए CCTV फुटेज मांगने की रिक्वेस्ट भी की जा सकती है. इसके अलावा, यह तकनीकी और कानूनी सहायता भी प्रदान करता है.

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