राजनीतिक दलों ने 2019 से पहले Electoral Bonds से कितने चंदा जुटाए? आयोग ने वेबसाइट पर अपलोड की नई डिटेल

राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे को खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था. 15 मार्च, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने सीलबंद कवर में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ प्रतियां वापस कर दी हैं.
Electoral Bonds

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Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के सीलबंद कवर में बंद चुनावी बांड की जानकारी जारी कर दी है. माना जाता है कि ये जानकारी 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि से संबंधित हैं. पिछले दिनों चुनाव आयोग ने इस डेट के बाद की जानकारी साझा की थी. चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के निर्देशानुसार सीलबंद कवर में चुनावी बांड पर डेटा दाखिल किया था.

सीलबंद लिफाफे सुप्रीम कोर्ट में किए गए थे जमा

राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे को खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था. 15 मार्च, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने सीलबंद कवर में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ प्रतियां वापस कर दी हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि ‘चुनाव आयोग’ ने आज अपनी वेबसाइट पर चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा अपलोड कर दिया है. इस डेटा से पता चल गया है कि किस दल को चुनावी बॉन्ड से कितने पैसे मिले.

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चुनाव आयोग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार-

बीजेपी ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड भुनाए. इसमें पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपये मिले.
कांग्रेस पार्टी ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपये भुनाए.
BJD ने 944.5 करोड़ रुपये
वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) ने 442.8 करोड़ रुपये
तेदेपा (TDP) ने 181.35 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपये मिले
BRS ने 1,322 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए
सपा को चुनावी बॉन्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये
अकाली दल को 7.26 करोड़ रुपये
अन्नाद्रमुक को 6.05 करोड़ रुपये
नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपये मिले

मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कहा है कि उसे चुनावी बांड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है. इसके साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीआई (एम) ने कहा कि उसे भी चुनावी बांड के माध्यम से चंदा नहीं मिला.

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