“उसी को हटाने की मांग थी, वही भेज रहा मेल”, डॉक्टरों ने ठुकराया ‘दीदी’ का प्रस्ताव, सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी भी अनसुनी
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि डॉक्टर काम पर लौटें और उनके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि डॉक्टर काम पर वापस नहीं आते हैं, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने पुलिस को निर्देशित किया कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रबंध किए जाएं, जिसमें अलग ड्यूटी रूम, शौचालय की सुविधाएं, और सीसीटीवी कैमरे शामिल हैं.
बंगाल सरकार का प्रयास
बंगाल सरकार ने डॉक्टरों से संपर्क साधने के लिए ईमेल भेजा है, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने के लिए आमंत्रित किया है. टीएमसी नेता और स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने कक्ष में प्रतिनिधियों का इंतजार किया, लेकिन डॉक्टरों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. इसके बाद मुख्यमंत्री ने बंगाल सचिवालय से निकलने का निर्णय लिया और डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की.
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डॉक्टरों की प्रतिक्रिया
डॉक्टरों ने बंगाल सरकार के इस प्रस्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्यजनक रूप से स्वास्थ्य सचिव का एक ईमेल प्राप्त हुआ है, जबकि उनकी प्रमुख मांगों में स्वास्थ्य सचिव का इस्तीफा शामिल था. डॉक्टरों ने यदि आवश्यक हो तो वे 10 प्रतिनिधियों के साथ नबन्ना (राज्य सचिवालय) आ सकते हैं, लेकिन स्वास्थ्य सचिव द्वारा भेजे गए ईमेल को सकारात्मक संकेत नहीं मानते हैं. डॉक्टरों ने कहा कि हमने जिस स्वास्थ्य सचिव के इस्तीफे की मांग की, उन्होंने ही हमे ई-मेल भेजा है.
कब से जारी है प्रदर्शन
पिछले महीने 8-9 अगस्त की रात एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, और बंगाल में डॉक्टरों ने व्यापक हड़ताल का आह्वान किया. इसके कारण अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं पर भी असर पड़ा, और मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा. चुकी डॉक्टरों और राज्य सरकार के बीच बातचीत अभी भी ठप है, ऐसे में यह देखना होगा कि क्या कोई मध्यस्थता का प्रयास होगा या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त होगी.