उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला महाकुंभ, योगी सरकार की होगी जबरदस्त कमाई!
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 का भव्य आगाज हो गया है. यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने वाला बड़ा इवेंट है. इस आयोजन का असर न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि देशभर की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा. लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालु न केवल धार्मिक लाभ के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था को भी एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देने के लिए यहां पहुंच रहे हैं.
इवेंट का बड़ा आकार
महाकुंभ 2025 में अनुमानित 40 से 50 करोड़ श्रद्धालु शामिल होंगे. इस विशाल संख्या के साथ यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि व्यावासिक दृष्टिकोण से भी अभूतपूर्व है. ऐसे आयोजनों से व्यापार और रोजगार सृजन के कई अवसर उत्पन्न होते हैं. इस बार का महाकुंभ पहले से कहीं ज्यादा बड़ा और प्रभावी होगा, और इससे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ होने का अनुमान है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर
महाकुंभ के आयोजन के लिए प्रयागराज शहर को पूरी तरह से नया रूप दिया गया है. यहीं नहीं, इस बार डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर किया गया है. तीर्थयात्रियों के लिए ऑनलाइन बुकिंग, डिजिटल पेमेंट और अन्य सुविधाओं के लिए एप्लिकेशन विकसित की गई हैं. यहीं नहीं, पूरी मेला व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए स्मार्ट सिटी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें ट्रैफिक, सुरक्षा, सफाई और अन्य व्यवस्थाओं के लिए तकनीकी समाधान लागू किए गए हैं.
इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से तीर्थयात्रियों को मेला क्षेत्र में आने से लेकर लौटने तक की जानकारी, दिशा-निर्देश और सुविधाओं के बारे में अपडेट किया जा रहा है. पर्यटकों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित गाइड ऐप्स और QR कोड स्कैनिंग जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं.
व्यापार और रोजगार में तेजी
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा खर्च की जाने वाली राशि से उत्तर प्रदेश के व्यापार और रोजगार में तेजी आएगी. यदि हर श्रद्धालु औसतन 5,000 रुपये खर्च करता है, तो यह आयोजन 2 लाख करोड़ रुपये का व्यवसाय उत्पन्न कर सकता है. लेकिन व्यापार के प्रति खिंचाव और भी अधिक है. अनुमान है कि इस बार प्रति व्यक्ति खर्च 10,000 रुपये तक हो सकता है, जिससे कुल कारोबार 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
इसमें उपभोक्ता वस्तुओं का कारोबार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. महाकुंभ में विभिन्न उत्पादों की बिक्री, जैसे पूजा सामग्री, फूल, खाद्य सामग्री, कपड़े, दवाइयां, और अन्य जरूरी सामान में वृद्धि होगी. अनुमान के अनुसार, पूजा सामग्री का व्यापार 2,000 रुपये करोड़ तक पहुंच सकता है, जबकि फूलों का कारोबार 800 करोड़ रुपये तक हो सकता है.
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हेलिकॉप्टर सेवा का आनंद
महाकुंभ 2025 में हेलिकॉप्टर सेवा का आनंद लिया जा सकेगा. इस सेवा के माध्यम से श्रद्धालु महाकुंभ क्षेत्र का हवाई दर्शन कर सकेंगे. हेलिकॉप्टर सेवा का ऑपरेशन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बुकिंग के माध्यम से किया जाएगा. अनुमानित है कि इस सेवा से प्रतिदिन 3.5 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न होगा, और यह सेवा 45 दिनों तक जारी रहने पर कुल 157 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न हो सकता है.
महाकुंभ से जुड़ी डिजिटल सेवाएं रोजगार सृजन में भी मददगार साबित होंगी. ऑनलाइन टिकटिंग, डिजिटल भुगतान के माध्यम से व्यापार को और अधिक व्यवस्थित किया जाएगा. इसके अलावा, महाकुंभ के आयोजन से जो रोजगार सृजन होगा, वह भी डिजिटली सक्षम होगा. मोबाइल ऐप्स, वेबसाइट्स, और अन्य डिजिटल टूल्स के माध्यम से कर्मचारी भर्ती की प्रक्रिया में तेजी आएगी, जिससे लाखों लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे.
लोकल बिजनेस का बढ़ता कद
महाकुंभ के दौरान छोटे और स्थानीय व्यापारियों के लिए भी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए अपने उत्पादों को बेचने का एक बड़ा मौका होगा. स्मार्टफोन और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ, व्यापारी अपनी दुकानों और उत्पादों का प्रचार डिजिटल तरीके से कर सकेंगे. सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और अन्य डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल करके वे अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ा सकते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
मंदिर अर्थव्यवस्था और डिजिटल योगदान
भारत में मंदिरों और धार्मिक स्थलों से जुड़ी एक बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसे ‘मंदिर अर्थव्यवस्था’ कहा जाता है. इस आर्थिक व्यवस्था का डिजिटल रूप भी अब तेजी से बढ़ रहा है. महाकुंभ जैसे आयोजनों में श्रद्धालु न केवल ऑनलाइन भुगतान करते हैं, बल्कि मंदिरों के लिए डोनेशन भी डिजिटल माध्यमों से होता है. यह डिजिटल भुगतान व्यवस्था मंदिर अर्थव्यवस्था को और भी पारदर्शी और सशक्त बनाती है.
महाकुंभ 2025 एक ऐसा आयोजन है, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके डिजिटल पहलू भी इसे एक वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएंगे. ऑनलाइन सेवाओं, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, और स्मार्ट तकनीकों के माध्यम से यह आयोजन उत्तर प्रदेश और भारत की अर्थव्यवस्था को एक नया मार्ग दिखाएगा. महाकुंभ 2025 से होने वाली आर्थिक वृद्धि डिजिटल युग में भारतीय समाज की समृद्धि और विकास को साबित करेगी.